भोपाल। प्रेस को जारी विज्ञप्ति में सचिव दिनेश कुमार ने बताया कि तकनीकी शिक्षा विभाग मे कई दशकों से चली आ रही अतिथि विद्वान(व्याख्याता) प्रथा जिसमें अतिथि विद्वान एक स्तंभ की तरह खड़े होकर तकनीकी शिक्षण संस्थान इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक में शैक्षणिक कार्य को संपादित आ रहे हैं लेकिन शासन के कोरोना वायरस के अस्थाई अवकाश के कारण तकनीकी अतिथि विद्वान वेरोजगार हो गए है।
अवकाश के दौरान किसी भी तकनीकी अतिथि विद्वान का वेतन न काटा जावे उनसे अन्य संस्थागत शासकीय कार्य कराकर उनकी उपस्थिति दर्ज की जाए। इस सम्वन्ध में रायसेन, गुना, शिवपुरी, इटारसी, डिंडोरी, पन्ना, खुरई (सागर) अन्य जिलों से भी सभी जिला संयोजकों द्वारा माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के नाम ज्ञापन दिया गया।
अध्यक्ष अखलेश सेन ने बताया कि शासन के कोरोना वायरस के कारण अस्थाई अवकाश आदेश से प्रदेश के 67 पॉलिटेक्निक एवं 5 इंजीनियरिंग कॉलेज के अतिथि विद्वान बेरोजगार हो गए है। यह अतिथि विद्वान इन संस्थाओं की रीड की हड्डी की तरह अपने कार्य का योगदान दे रहे हैं लेकिन यह उच्च कोटि तकनीकी बुद्धिजीवी वर्ग शासन की नीतियों की वजह से वर्ष में दो बार (4 माह) बेरोजगार रहता है और छलावा यह है कि इन्हें 11 माह का कांटेक्ट देकर 7 माह का मानदेय दिया जाता है।
शासन एवं प्रशासन की उपेक्षा के शिकार होते हुए भी हजारों तकनीकी अतिथि विद्वान आज भी ₹400 प्रति कालखंड होते हुए भी इस और कोई स्पष्ट दिशा निर्देश जारी नहीं किए।