भोपाल। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है। यह विचारणीय है कि विगत चुनाव में पदोन्नति में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के मुद्दों ने महती भूमिका निभाई थी। वर्ष 2016 से ही सरकारों की जिद और मान उच्च न्यायालय के फैसले को लागू न करने के कारण शासकीय तंत्र और अमला परेशान है। उत्तराखंड में सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण समाप्त कर दिया है। नई सरकार से अपेक्षा है कि मप्र में भी पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था पूरी तरह समाप्त कर रुकी हुई पदोन्नतियां प्रारंभ की जावें।
प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर पुन:
उपचुनाव होना है। सपाक्स संस्था यह आव्हान करती है कि सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के शासकीय सेवक मात्र और मात्र उस दल को समर्थन दें जो पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करे। संस्था उन सभी दलों/ प्रत्याशियों का विरोध करेगी जो पदोन्नति में आरक्षण का समर्थन करते हों।
संस्था यह भी अपेक्षा करती है कि कोई भी अब किसी वर्ग विशेष के पक्ष अथवा किसी को आहत करने वाले "माई के लाल" जैसे उद्बोधनों का उपयोग नहीं करेगा।