मध्यप्रदेश फ्लोर टेस्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित | MP NEWS

Bhopal Samachar

Madhya Pradesh floor test Supreme Court

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया है। इस मामले में कांग्रेस की तरफ से तीखी बहस की गई। 

सुबह 10:30 बजे शिवराज सिंह के वकील अनुपस्थित थे 

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए बुधवार सुबह 10:30 बजे का समय दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करके मध्य प्रदेश के विधानसभा स्पीकर एवं सरकार का पक्ष बुलवाया था। सुबह 10:30 बजे शिवराज सिंह के वकील अनुपस्थित थे इस कारण सुनवाई का समय बदला गया। बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाया कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

मध्य प्रदेश कमलनाथ सरकार संकट मामले में आज कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में भाजपा विधायकों की जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग वाली याचिका का किया विरोध कहा  कांग्रेस के 16 विधायक बंधक बनाकर रखे गए हैं जब तक 16 विधायक नहीं आ जाते तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए।

मध्य प्रदेश कमलनाथ सरकार संकट सुप्रीम कोर्ट में कल भी जारी रहेगी मामले पर सुनवाई। कांग्रेस के बागी विधायकों ने स्पीकर के सामने पेश होने से किया इनकार। बागी विधायकों ने कोर्ट के सामने पेश होने की इच्छा जताई लेकिन कोर्ट ने मना कर दिया कहा कि ये उचित नहीं लगता।

मध्य प्रदेश सरकार संकट मामले मे भाजपा विधायकों की ओर से कांग्रेस के आरोपों का विरोध करते हुए कहा गया कि कोई भी विधायक बंधक नहीं बनाया गया है सभी 22 विधायक अपनी मर्जी से गए हैं। सभी 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन स्पीकर ने सिर्फ 6 का इस्तीफा स्वीकार किया है।

मध्य प्रदेश सरकार संकट मामले में भाजपा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम आदेश की मांग करते हुए कहा गया कि कांग्रेस किसी ना किसी तरह मामले को टालना चाहती है। कमलनाथ सरकार 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद अल्पमत में आगई है ऐसे में जल्दी फ्लोर टेस्ट होना चाहिए।

बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chauhan) समेत अन्य 9 लोगों की याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर से पूछा कि विधायकों के इस्तीफों पर अब तक फैसला क्यों नहीं लिया गया. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि स्पीकर सहमत नहीं हैं तो वे इस्तीफों को नामंजूर कर सकते हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल के बागी विधायकों से मिलने की बात पर इनकार कर दिया है. अब मामले की अगली सुनवाई गुरुवार सुबह 10.30 बजे होगी.

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे गए बागी विधायकों के त्यागपत्रों के मामले में जांच की आवश्यकता है.वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से रिक्त विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने तक शक्ति परीक्षण स्थगित करने की मांग की. कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के लिए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह अदालत में पेश हुए. उन्होंने कहा, 'कानून का कोई सिद्धांत नहीं है कि उन्हें किसी से मिलने के लिए मजबूर करने के लिए. हमारा अपहरण नहीं किया गया है. हम एक सीडी में इस सबूत को अदालत में पेश कर रहे हैं.'

सुप्रीम कोर्ट में 16 बागी विधायकों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने कहा, 'हमारा इस्तीफा केवल लोकतंत्र को मजबूत करने के इरादे से है. हमने अपनी विचारधाराओं के कारण इस्तीफा दिया. इस्तीफे का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन इस्तीफे को स्वीकार करने के लिए अध्यक्ष पर संबंधित कर्तव्य क्या है? क्या वह इस्तीफे को दबा कर बैठ जाएंगे? वह इस बात से सहमत हैं कि वह कुछ को स्वीकार करेंगे, दूसरों को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि राजनीतिक खेल चल रहा है ?'

भाजपा की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि बागी विधायक वापस भोपाल नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि विधायकों को स्पीकर पर भरोसा नहीं है.MLA बेंगलुरु से भोपाल नहीं आना चाहते.




सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम विधायिका के काम में दखल नहीं देना चाहते हैं लेकिन हम यह जानना चाहते हैं कि आखिर विधायक बंधक तो नहीं हैं. हमें यह तय करना है कि विधायक अपनी इच्छा से काम कर सकें. अदालत ने कहा कि बहुमत किसके पास है हम यह तय नहीं करेंगे.

कांग्रेस ने न्यायालय में आरोप लगाया कि मप्र में उसके बागी विधायकों के इस्तीफे बलपूर्वक और डरा धमका कर ले जाए गये हैं और यह उन्होंने स्वेच्छा से ऐसा नहीं किया है.कांग्रेस ने कहा कि बागी विधायकों को भाजपा चार्टर्ड विमानों से ले गयी और उन्हें एक रिजार्ट में रखा गया है. कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भाजपा नेता होली के दिन अध्यक्ष के आवास पहुंचे और उन्हें बागी 19 विधायकों के इस्तीफे सौंपे, यह इस मामले में उनकी भूमिका दर्शाता है.

वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की उस याचिका का विरोध किया, जिसमें उसने उप चुनाव तक शक्ति परीक्षण टालने की मांग की है.चौहान ने मध्य प्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण की मांग करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार एक दिन भी सत्ता में नहीं रह सकती क्योंकि वह बहुमत खो चुकी है.इससे पहले मध्य प्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन (Lal ji tondon) की ओर से दो बार सरकार को निर्देश दिया गया कि वह बहुमत का परीक्षण कराए हालांकि कमलनाथ (Kamal nath) सरकार ने 16 विधायकों के कथित तौर पर गायब होने का दावा कर अपने कदम पीछे खींच लिये. इसके बाद राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और फ्लोर टेस्ट कराये जाने का निर्देश देने की याचिका दायर की. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ इस पर सुनवाई करेगी.

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