भोपाल। वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाईजेशन द्वारा कोरोना वायरस को महामारी घोषित किए जाने के बाद मप्र हाईकोर्ट की फुलकोर्ट ने 20 मार्च तक सिर्फ अर्जेन्ट मुकदमों की सुनवाई करने का निर्णय लिया है। यह व्यवस्था मुख्यपीठ जबलपुर के अलावा इन्दौर और ग्वालियर खण्डपीठ पर भी लागू होगी। प्रिंसिपल रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार अग्रवाल द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार 16 मार्च से 20 मार्च तक सिर्फ अति महत्वपूर्ण मुकदमों पर सुनवाई की जाएगी। सामान्य प्रकृति के शेष मामलों की सुनवाई बढ़ा दी जाएगी।
इसी तरह प्रदेश की सभी जिला सत्र न्यायालयों के लिए भी एडवायजरी जारी की गई है। प्रिंसिपल रजिस्ट्रार (विजिलेंस) प्रमोद कुमार अग्रवाल द्वारा जारी एडवायजरी में कहा गया है कि सभी अदालतें जब तक जरूरी न हो, तब तक उभय पक्षों की उपस्थिति के लिए दवाब न बनाएं। साथ ही पक्षकारों और आम नागरिकों के प्रवेश को नियंत्रित करने के प्रयास करें। सभी अधिवक्ता अपने पक्षकारों को तब तक कोर्ट में न बुलाएं, जब तक उनकी उपस्थिति जरूरी न हो। जब तक कोरोना वायरस से हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक किसी भी पक्ष की गैरहाजिरी पर उनके खिलाफ कोई आदेश पारित न किए जाएं।
पक्षकार, वकील या गवाह यदि पेशियां बढ़वाते हैं तो उस पर विचार किया जाए। आपराधिक मामलों में आरोपियों की हाजिरी से छूट दी जाए। दीवानी मामलों में जहां तक संभव हो, दोनों पक्षों की सहमति लेकर लोकल कमिश्नर की सेवाएं लेकर गवाही दज कराई जाएं। गवाहों और जेल में बंद विचाराधीन बंदियों की गवाही के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की मदद ली जाए। हवालात में भी अनावश्यक भीड़ न बढ़ाई जाए। मुकदमों की अंतिम सुनवाई के लिए लिखित दलीलें बुलाई जाएं और मौखिक बहस को घटाया जाए। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए कोर्ट परिसर में मौजूद डिस्पेंसरियों में सभी जिला सत्र न्यायाधीश आवश्यक संसाधन मुहैया कराएं।
अदालत परिसरों में पक्षकारों और स्टाफ के लिए सेनेटाईजर उपलब्ध कराए जाएं। साथ ही साफ-सफाई पर खास ध्यान दिया जाए। वरिष्ठ न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम हर जिले में हर दिन स्थिति पर नजर रखे। कोरोना वायरस से निपटने के लिए हर कदम उठाए जाएं। सभी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव कोर्ट परिसरों में निर्देश जारी करें, ताकि बिना वजह वहां पर भीड़ न हो सके। आगामी आदेश तक कोर्ट परिसरों में न तो कोई आयोजन हो और न ही कोई चुनाव किए जाएं। मध्यस्थता के सिर्फ अर्जेन्ट मामलों पर ही सुनवाई की जाए।