भोपाल। कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के ठीक पहले कई लोगों को आयोगों का अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त कर दिया था। कांग्रेस पार्टी की महिला नेता शोभा ओझा भी इसी लिस्ट में शामिल थी। शोभा ओझा को महिला आयोग का चेयरमैन बनाया गया था लेकिन आयोग की पहली सुनवाई करने से पहले ही शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें कुर्सी से उतार दिया।
राज्य महिला आयोग अध्यक्ष शोभा ओझा, पिछड़ा वर्ग आयोग में जेपी धनोपिया और युवा आयोग में अभय तिवारी की नियुक्ति किया जाना और इनकी नियुक्तियों को निरस्त किया जाना दोनों चर्चाओं में है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि जब कमलनाथ को मालूम था कि उनकी सरकार संकट में है, कभी भी गिर सकती है या इस्तीफा देना पड़ सकता है। तो फिर उन्होंने नियुक्तियां की ही क्यों। विपक्ष में आने के बाद कमलनाथ लगातार बयान दे रहे हैं कि मैं होता तो फटाफट फैसले करता परंतु मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी को जिंदा रखने वाले नेताओं की नियुक्ति करने में कमलनाथ ने ना केवल 15 महीने लगाए बल्कि शायद हुए से ज्यादा भी लगाना चाहते थे।
शोभा ओझा काफी पावरफुल थी, अब मजाक कर रहा है
कांग्रेस पार्टी में शोभा ओझा काशी पावरफुल थी। गांधी परिवार से नजदीकी के कारण वह समकक्ष कांग्रेस नेताओं से आगे निकल गई थी। मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी तो शोभा ओझा बिना किसी पद के कुछ महत्वपूर्ण पदों का आनंद उठा रही थी। कुछ सरकारी विभाग शोभा ओझा के इशारे पर काम कर रहे थे। राज्य महिला आयोग का चेयरमैन बनाए जाने के बाद जब उन्हें हटाया गया तो सोशल मीडिया पर कुछ लोग उनका मजाक उड़ा रहे हैं।