भोपाल। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ा इंटरेस्ट ले रहे हैं। पिछले 10 दिनों में भूपेश बघेल बैक टू बैक कई बयान जारी कर चुके हैं। ऐसा लगने लगा है जैसे छत्तीसगढ़ अलग राज्य नहीं बल्कि, मध्य प्रदेश का ही एक भाग है।
गुरुवार तक पूर्ण बहुमत का दावा करने वाले कमलनाथ शुक्रवार को फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर भाग गए। इसके तत्काल बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान जारी किया कि '15 साल के भाजपा के कुशासन के सामने आपका 15 महीने का सुशासन मध्यप्रदेश की जनता कभी नहीं भूलेगी कमलनाथ जी। आपके द्वारा भ्रष्टाचारियों और माफियाराज के खिलाफ चलाया गया अभियान सराहनीय रहा। कांग्रेस फिर लौटेगी। जनता का विश्वास जीतेगी। (सवाल यह है कि मध्य प्रदेश की जनता क्या याद रखेगी और क्या नहीं भूलेगी, इसकी जानकारी भूपेश बघेल को कैसे हैं। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि वह मध्य प्रदेश की जनता का मूड समझने की कोशिश कर ही क्यों रहे हैं, जबकि उन्हें जवाब छत्तीसगढ़ की जनता को देना है।)
मध्य प्रदेश की राजनीति में तेजी से एक्टिव हुए हैं भूपेश बघेल
कर्नाटक में दिग्विजय सिंह के साथ हुए व्यवहार के बाद भूपेश बघेल ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की थी। वह दूसरे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तरह बयान भी जारी कर सकते थे लेकिन कंधे से कंधा मिला है नजर आए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे पर बघेल ने कहा था कि " बिल्ली के भाग से छींका नहीं टूटता, कांग्रेसमें लोग गुर्राते हुए जाते हैं और दुम दबाकर आते हैं।"
16 विधायकों के इस्तीफे पर भी भूपेश बघेल ने कई बयान देते हुए दावा किया था कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार सुरक्षित है।
मध्य प्रदेश की राजनीति में रुचि क्यों ले रहे हैं भूपेश बघेल
मध्यप्रदेश में चली 11 दिन की राजनीतिक उठापटक में भूपेश बघेल अकेले ऐसे नेता है जिनका मध्य प्रदेश से कोई सीधा संबंध नहीं है बावजूद इसके उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा बयान दिए। देश के किसी भी कांग्रेसी पॉलीटिकल लीडर रहे, मध्यप्रदेश के घटनाक्रम में इतनी रुचि नहीं ली। सवाल यह है कि भूपेश बघेल मध्य प्रदेश की पॉलिटिक्स में इतना इंटरेस्ट क्यों ले रहे थे। क्या कुछ ऐसा है जो दिखाई नहीं दे रहा।