भोपाल। शोषण का शिकार होकर भी शिक्षा का प्रकाश फैलाने का काम लगन और ईमानदारी के साथ लंबे समय से करते आ रहे अतिथि शिक्षक की हाय कमलनाथ की सरकार को आखिर ले डूबी। बता दें, कि अतिथि शिक्षकों के वचन निभाओ जन सत्याग्रह का कल 80वां दिन भी गुजर गया, परंतु ओछी और खोटी नीयत के शिकार होकर सरकार चलाने वाली कमलनाथ सरकार ने दिन रात सत्याग्रह पर बैठे सिर्फ और सिर्फ पेट की आग बुझाने के लिए अदना सा रोजगार की मांग करते मर मरकर भी जिंदा अतिथि शिक्षकों की एक भी नहीं सुनी। जबकि इस दौरान प्रदेश के तीन अतिथि शिक्षकों ने रोजी रोटी की मांग करते-करते अपने प्राण भी नहीं बचा पाये। उन्हें कालकवलित होकर सरकार की वचन खिलाफी नीति का बदला चुकाना पड़ा।जिसकी हाय ही कमलनाथ सरकार को लगी है।
आगे सत्ता संभालने वाली पार्टी को भी ध्यान रखना ही चाहिए
मध्यप्रदेश की सत्ता से लंबे समय के लिए कमलनाथ और कांग्रेस को हाथ धोना पड़ा है।आगे सत्यता में काबिज पार्टियों को इस बात को कतयी नहीं भूलना चाहिए, और सबसे पहले कार्यवाही अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण पर ही करनी चाहिए। इसके पीछे कारण और भी ढेर सारे हो सकते हैं,पर प्रदेश के लाखों सत्याग्रही अतिथि शिक्षकों का मानना है,और दुनिया जानती है,कि सरकार गठन होने के तीन महीने के भीतर नियमित कर रोजगार देने का वचन सार्वजनिक मंच के माध्यम से कमलनाथ और दिग्विजयसिंह ने संयुक्त रूप से दिया था।जिसको पवित्र ग्रंथ के समान पवित्र दर्दा प्राप्त वचन पत्र के बिंदु क्रमांक 16.28 एवं 47.23 में भी प्रकाशित किया गया है।इन सारे वादे वचन को कमलनाथ समय पर पूरा नहीं कर सके,और तो और इनको लेकर शोषित पीड़ितों और वचन पक्ष का अनदेखा भी किया जाता रहा। इनके साथ संवाद भी किया जाना उचित नहीं समझा गया। रोजगार उपलब्ध कराना तो दूर की कौड़ी इस बीच प्रदेश भर के हजारों अतिथि शिक्षकों का रोजगार भी छीना भी गया। ब्लाक ,जिला और क्षेत्र स्तर पर खूब प्रयास भी किया गया।कि क्षेत्रीय विधायकों, जनप्रतिनिधियों के माध्यम से भी आवाज मुख्यमंत्री तक पहुंच सके। इनकी भी राजशाही ने आवाज को दबाते रहने का काम किया। जिससे आक्रोशित होकर वचन निभाओ प्रदेश व्यापी जन आंदोलन की नींव प्रदेश के मण्डला जिले से रखी गई।
25 अक्टूबर 2019 को हुआ था मण्डला जिले से जन सत्याग्रह का आगाज
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के संस्थापक और प्रांत व्यापी इस जन सत्याग्रह के सूत्रधार के रूप में काम करने वाले अतिथि शिक्षक परिवार मण्डला के जिला अध्यक्ष पी.डी.खैरवार ने सरकार की अतिथि शिक्षक विरोधी नीतियों का प्रत्यक्ष विरोध करने की शुरुआत 25 अक्टूबर से मण्डला से कर दी,और उसी दिन से शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के प्रण के साथ अपने हजारों अतिथि शिक्षक साथियों के साथ सड़कों पर उतरकर नियमितीकरण पाने संघर्ष करने विवश हो गये।जो ढाई महीने तक जिला स्तर पर ही चलता रहा।इस बीच मानदेय तथा अन्य स्थानीय विसंगतियों पर शासन-प्रशासन का ध्यानाकर्षण किया भी गया। प्रदेश के अन्य जिलों तक भी इस क्रांति की सुगबुगाहट फैलती रही।स्थानीय विसंगतियों को खत्म कराने में कुछ हद तक सफलता भी मिली।
वचन निभाओ पैदल यात्रा 18 दिसम्बर को पहुंची थी भोपाल
इस कारवां को प्रदेश स्तरीय बनाये जाने के उद्देश्य से 12 दिसम्बर 2019 को मण्डला जिला मुख्यालय से राजधानी भोपाल के लिए वचन-निभाओ पैदल यात्रा की शुरुआत की गई।जो 18 दिसम्बर 2019 को राजधानी स्थित बोर्ड आफिस चौराहा पहुंचकर जन सत्याग्रह का रूप ले लिया,और आज प्रांतव्यापी ही नहीं राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन के रूप में खड़ा हो चुका है।जो राजधानी स्थित यादगारे शाहजहांनी पार्क में अपना झंडा गाड़ा हुआ है।इस बीच गुना जिले से संगठन के जिला अध्यक्ष और अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के संस्थापक सदस्य व प्रदेश अध्यक्ष सुनील परिहार ने जिला मुख्यालय गुना में तथा अनवार अहमद कुरैशी ने सीहोर जिले में लंबा जन सत्याग्रह चलाकर क्रांति को हवा देने का काम किया।इस तरह सभी जिले एक के बाद एक जुड़ते चले गये, और सभी जिलों से भी प्रयास जारी रहा।इसी कारण प्रदेश की जनता जनार्दन के द्वारा इसे निर्णायक आंदोलन का दर्जा दिया जा रहा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिया है अतिथि शिक्षकों का पक्ष
संगठन के सक्रिय सहयोगी सविता पुष्पा और महिला प्रदेश विंग की अध्यक्षा अनिता हरचंदानी ने बताया है, कि राष्ट्रीय नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने आपको जनता का सच्चा सेवक मानकर जनता की अदालत में यह सवाल खड़ा करने मजबूर होना पड़ा ,कि कमलनाथ को सत्ता संभाले लगभग सवा साल बीत चुके, बावजूद वचन पत्र के अति आवश्यक बिंदुओं पर काम शुरू भी नहीं हो पाना कहीं न कहीं सरकार की अक्षमता को बताती है। इसलिए उन्होंने टीकमगढ़ जिले की धरती से तेरह फरवरी को आखिरी बार अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण को लेकर हो रही देरी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए सड़कों पर उतरकर सरकार को जगाने का काम करने का आस्वासन ही नहीं सच्चा वचन दिया था।जिसको एक माह के भीतर पूरा करके दिखा भी दिया।इस दौरान अतिथि शिक्षक समन्वय समिति की ओर से द्वारका तिवारी और नीरज अरजरिया ने अतिथि शिक्षकों का पक्ष उनके सामने रखा था।
सत्ता में चाहे जो बैठे, नियमितीकरण की मांग जल्द पूरा करना मजबूरी नहीं, जरूरी होगा
संगठन के जांबाज वालेंटियर रामस्वरूप गुर्जर एवं देवेंद्र शाक्य ने कहा है, कि इस तरह की राजनीतिक उठा-पटक से स्पष्ट हो गया है,कि सत्ता में जो भी राजनीतिक दल का कब्जा हो,पर अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण पर कार्यवाही जल्द से जल्द करना उनकी मजबूरी नहीं जरूरत भी होगी।बल्कि वचन पत्र के हर बिंदुओं का पालन अक्षरशः किये जाने काम प्राथमिकता के साथ किया जाना आवश्यक होगा।
या तो पढ़ायेंगे राजनीति का पाठ
संगठन के मीडिया प्रभारी रविकांत गुप्ता और प्रदेश सदस्य द्वारका तिवारी ने माना है,कि अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की प्रक्रिया में अब भी हीलाहवाली की जाती है,तो निश्चित रूप से अतिथि शिक्षक समन्वय समिति की विवशता बन जायेगी,कि मध्यप्रदेश के राजनीतिक सोच रखने वाले छुटभैया किस्म के नेता या जनप्रतिनिधि के दावेदारों को राजनीति का पाठ पढ़ाये जाने के मुख्य उद्देश्य से राजनीति पर दखल देने पर भी जल्द से जल्द विचार किया जा सकता है।
रोजी-रोटी बचाने के साथ स्कूलों को भी शिक्षा माफियों से बचाने की लड़ाई है अतिथि शिक्षकों की
समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी जानकारी दी है,कि हमारा संघर्ष नियमितीकरण पाने के लिए तो है ही,पर इससे कहीं ज्यादा जरूरी सरकारी स्कूलों और सरकारी सम्पत्तियों को बचाना भी है।आगे आपने यह भी बताया है,कि सरकार की क्षमता देश या प्रदेश को चलाने की नहीं बची है।जिससे सरकारी सनपत्ति को माफियों के हाथों सौंपकर सिर्फ कमीशन खोरी कर जनता पर राज करना चाहते हैं।इसी सिलसिले में अनेकों विभाग बंद किये जा चुके हैं।दर्जनों विभाग बंद होने की कगार पर हैं।हर साल सरकारी स्कूलों को हजारों की संख्या में बंद किये जाने का सिलसिला बेखौफ जारी है।जिसे बचाते रखने का अभियान भी इस जन सत्याग्रह से जुड़ा हुआ है।
हर जंग पर डटे रहेंगे सत्याग्रही
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील परिहार की अध्यक्षता में उपस्थित समस्त सत्याग्रहियों ने एक आवश्यक निर्णय लिया है,कि अब हर हाल में सत्याग्रह स्थल पर हम सब डटे रहेंगे।जिसके लिए बारी बारी से अपनी सुविधानुसार भोपाल पहुंचकर आंदोलन को शीघ्र निर्णायक मोड़ दिया जायेगा।
कांग्रेस सरकार की दूसरी सूखी सूखी और काली होली पर रंगारंग मनाई गई
एक समय भूखे रहकर चलाते जाने वाले इस जन सत्याग्रह के चलते सत्याग्रह पर ही सूखी सूखी काली पर होलिका पर्व को रंगारंग मनाया गया।सत्याग्रही भाई बहनों ने होली गीतों के साथ होली पर्ल को रोज लगातार आनंदित होकर मना रहे हैं।एक दूजे को तिलक कर रंग भी लगाया गया।साथ ही होली पर्व की शुभकामनाएं आदान-प्रदान की जाती रहीं।इस तरह कमलनाथ सरकार के चलते दूसरी काली और सूखी होली मनाई गई।