इसे कहते हैं राजनीति का 'महाराज' होना, जब चुप हुए तो सरकार गिरा दी | MP NEWS

Bhopal Samachar
आदित्य आचार्य। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार का पतन हो चुका है। समीक्षाओं का दौर जारी है। लोग अपने-अपने तरीके से घटनाक्रमों को जोड़कर समीक्षा कर रहे हैं। यह प्रक्रिया हमेशा जरूरी होती है क्योंकि घटनाओं की समीक्षाएं ही भविष्य के लिए सबक होती हैं। अपुन यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की समीक्षा करने आए हैं। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहले ही हिंट कर दिया था

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सबसे पहले संकेत दिए थे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कांग्रेस का नाम हटा दिया था। उसके बाद अपने लेटर पैड से भी कांग्रेस का नाम और लोगो हटा दिया था। जब मीडिया ने इस बात को नोटिस किया तो मामला हाईलाइट हो गया लेकिन गांधी परिवार और कमलनाथ की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं आया। फाइनली ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक स्टेटमेंट देखें मीडिया में मैटर क्लोज कर दिया। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने क्लियर किया कि सिचुएशन कॉम्प्लिकेटेड है 

इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अशोक नगर में अतिथि शिक्षकों की मांग पर मंच से जवाब देते हुए क्लियर कर दिया था कि सिचुएशन कॉम्प्लिकेटेड हो गई है लेकिन सीएम कमलनाथ ने इसे ना केवल लाइटली लिया बल्कि ऐसा रिप्लाई दिया जो आग में घी डालने वाला था। खुद को कांग्रेसका मिस्टर मैनेजमेंट कहने वाले सीएम कमलनाथ अपनी सरकार का मैनेजमेंट बिगड़ बैठे। उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयानों से बड़ी आपत्ति थी। आग लगाने वाले 3 शब्द बोलकर कमलनाथ को लगा कि उनका काम हो गया है। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया कोई बयान नहीं देंगे। 

जब ज्योतिरादित्य चुप हुए तो दिग्विजय, कमलनाथ सहित गांधी परिवार तक तड़प उठा

होली के दिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया चुप हुए तो दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सहित दिल्ली में बैठा सोनिया गांधी परिवार भी तड़प उठा। 16 विधायकों के मोबाइल फोन स्विच ऑफ होने के बाद और कमलनाथ द्वारा इस्तीफा देकर फ्लोर टेस्ट से भागने तक, दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी ने भोपाल से लेकर कर्नाटक तक कई नाटक किए। 'तो उतर जाए' जैसा तो 2 बयान देकर आग भड़काने वाले कमलनाथ पत्रकारों को बुला बुलाकर इंटरव्यू देते रहे। कमलनाथ जिनके पास जनता के सवालों का जवाब देने के लिए टाइम नहीं था, हर घंटे बयान जारी करते दिखाई दिए। ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तमाम आरोप लगाए लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किसी का जवाब नहीं दिया। क्योंकि उनका जवाब बेंगलुरु में था और उन्हें पता था कि उनके किलेबंदी को कोई नहीं तोड़ पाएगा। इसे कहते हैं राजनीति का महाराज होना। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया को समझ नहीं पाए कमलनाथ 

यहां दिग्विजय सिंह की बात नहीं कर सकते क्योंकि दिग्विजय सिंह और उनके पूर्वज ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पूर्वजों को बहुत अच्छे तरीके से जानते हैं। दिग्विजय सिंह का दुश्मन उनका ओवरकॉन्फिडेंस है जिसने सबसे पहले 2003 में और अब 2020 में कांग्रेस पार्टी को सड़क पर ला दिया लेकिन देशभर के नेताओं को समझा लेने वाले कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को नहीं समझ पाए। शायद उन्हें लगा कि कांतिलाल भूरिया और जीतू पटवारी की तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने फायदे को प्राथमिकता देंगे। कमलनाथ समझ नहीं पाए कि उनके 3 ठीक है शब्दों का जवाब देना ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए जरूरी ही नहीं मजबूरी भी था। यदि वह इससे कुछ भी कम कर दे तो ग्वालियर चंबल की जनता उन्हें सड़क पर ले आती है।

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