भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग ने मध्य सत्र में ही 2700 अतिथि विद्वानों को बाहर कर, नए सहायक प्राध्यापकों की भर्ती कर दी थी, जो माननीय न्यायालय के अध्यधीन है,जिस कारण से अतिथि विद्वान ,भोपाल के शाहजहानी पार्क में शांतिपूर्ण तरीके से पैदल चल कर धरने तक और मुंडन तक मजबूर होकर अब तक उपस्थित है।
इसके बाद विभाग ने आनन फानन में 500 - 600 के लगभग अतिथियों को तो कैलेंडर जारी कर पुनः आमंत्रित कर लिया, परंतु शेष के लिये 2 मार्च को एक कैलेंडर जारी किया था जिसके अनुसार फालन आउट अतिथियों को चॉइस फिलिंग के लिये 6 मार्च तक का समय दिया गया,उन्हें महाविद्यालय आवंटन का समय 9 मार्च तक तय था और अतिथियों को कार्यभार ग्रहण करने का समय 11 से 13 मार्च तक का समय दिया गया था,परन्तु उच्च शिक्षा विभाग ने इसके बाद कोई कार्यवाही नही की और न ही अतिथि विद्वानों की सूची जारी की । जबकी यह सूची 12 मार्च को जारी हो जानी चाहिये थी। इस तरह देखा जाये तो उच्च शिक्षा विभाग खुद ही अपने आदेश की धज्जियाँ उडा रहा है।
उच्च शिक्षा विभाग की इस ढीलाशाही और मनमाफिक रवैये से अतिथि विद्वान हतप्रभ है और चिंतित भी। नौकरी से निकाले जाने के कारण अतिथि विद्वान की मौत भी हो चुकी है। पिछले तीन-चार महिने से व्यवस्था से बाहर रहने के कारण इनकी पारिवारिक और माली हालत भी ठीक नहीं है ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग का यह गैर जिम्मेदाराना रवैया इन्हें और परेशान करने पर मजबूर कर रहा है। आई टी सेल में ओएसडी संजय झा ने अतिथि विद्वानों को फोन पर बताया कि सूची तैयार है जब तक उच्च अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं होंगे तब तक जारी नहीं की जा सकती। शासन की अस्थिरता और सियासत में चल रही शह मात के इस खेल में शासन के ध्यान न देने की वजह से अधिकारी अपने ही आदेश का मखौल उडाने से बाज नहीं आ रहे है।
एक ऒर जहां वर्तमान सरकार ने अपने वचन पत्र में उल्लेखित किया था कि रोस्टर के परिपालन में नियमितीकरण होगा,वह नही हुआ और दूसरी ऒर विभाग ने फिर से अतिथि विद्वान व्यवस्था को प्रारम्भ कर दिया,जो अब भी पूरी नही हुई,और न ही उच्च शिक्षा विभाग ने कोई पत्र/ आदेश, अभी तक जारी नही किया,जिससे पता चल सके कि कैलेंडर जारी होने और अंतिम तिथि निकल जाने के बाद भी अतिथियों को आमंत्रित क्यो नही किया गया।