एक घर मे एक बुढ़िया मर गई तो परिवार के सदस्य बहुत रोने लगे, किसी ने पूछा कि बुढ़िया के मरने पर इतना क्यों रोना तो जवाब मिला "बुढ़िया के मरने का ज्यादा दुख नही, पर मौत ने घर देख लिया इस बात की ज्यादा चिंता है"।
वैसे ही कांग्रेस को सिंधिया के जाने से इस बात की चिंता ज्यादा होना चाहिए कि और कई लोग भी इसी तरह की स्थिति में है। उन लोगो को भी एक रास्ता दिख गया है। सिंधिया राहुल गांधी के बहुत करीबी थे, मीडिया के सामने राहुल के कान में फुसफुसाते हुए उनको क्या बोलना है ये बताते हुए हम सबने देखा था। इतने करीबी का जाना कई सवाल खड़े करता ही है।
2018 का मप्र विधानसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर ही लड़ा गया था। जिसमे कांग्रेस ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जीत नही दिला सकते थे। पर बाद में सिंधिया को हटा कर कमलनाथ को सीएम बना दिया।
अब खतरा यह है कि सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा, हुड्डा और भी कई कांग्रेसी नेता कभी न कभी सिंधिया की राह पर चल सकते है। अगर इन लोगों को राज्यों में मौके नही मिले तो इनका क्या होगा। क्योंकि केंद्र में कांग्रेस सरकार बनने की संभावना काफी कम है। 2019 के चुनाव में साबित हो चुका है कि कांग्रेस पार्टी बेहद कमजोर हो चुकी है। पिछले 1 साल में कांग्रेस का मजबूत करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। अमरिंदर सिंह, सचिन पायलट, सिंधिया के कारण कांग्रेस कुछ राज्यों में जीतती रहेगी पर केंद्र में लगभग अंत हो ही चुका है।
लेखक श्री अमित उपाध्याय Datamatics global services में सीनियर मैनेजर हैं। मूलत: खंडवा के रहने वाले हैं, इन दिनों मुंबई में निवास करते हैं।