नई दिल्ली। उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के विरोध में हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का प्रदर्शन शुक्रवार को उग्र हो गया। कलेक्ट्रेट में जिला आबकारी अधिकारी के दफ्तर में काम होते देख कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान मारपीट की नौबत भी आ गई। एक आबकारी इंस्पेक्टर का आरोप है कि कर्मचारियों ने उनसे भी मारपीट की है। स्थिति को संभालने के लिए वहां आबकारी मुख्यालय से भी अधिकारी पहुंचे थे।
जनरल और ओबीसी कर्मचारी 12 दिनों से हड़ताल पर हैं। कई दफ्तरों में आवश्यक काम होने हैं तो बहुत से कर्मचारी अफसरों के कहने पर भी काम में लगे हैं। लेकिन हड़ताली कर्मचारी उन पर भी हड़ताल में शामिल होने का दबाव बना रहे हैं। बृहस्पतिवार को भी हड़ताली कर्मचारी कलेक्ट्रेट में एसडीएम दफ्तर के बाहर पहुंचे और कर्मचारियों को काम करने से रोका।
शुक्रवार को भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति रही। पंचस्थानी चुनावालय में डीपीसी के लिए नामांकन आदि की प्रक्रिया चल रही थी। इसके साथ ही जिला आबकारी अधिकारी के दफ्तर में ठेकों के आवेदन की प्रक्रिया चल रही थी। इसी बीच हड़ताली कर्मचारियों का एक दल वहां पहुंचा और प्रदर्शन करने लगा। कुछ कर्मचारियों ने दफ्तर में तालाबंदी का भी प्रयास किया लेकिन अंदर मौजूद कुछ नेताओं के कहने पर वे मान गए। कुछ देर बाद सभी कर्मचारी बाहर आए और पहले से हो रहा काम रुकवा दिया।
12 दिन में चार गुना बढ़ गया प्रमाणपत्रों का बैकलॉग
जनरल ओबीसी कर्मचारियों की हड़ताल के कारण प्रमाणपत्र बनवाने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 12 दिनों से प्रमाणपत्रों का बैकलॉग भी लगभग चार गुना बढ़ गया है। प्रमाणपत्र न बनने से बहुत से छात्र या अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।
तहसील में जनाधार केंद्र पर हर रोज 100 से 150 विभिन्न तरह के प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन किए जाते हैं। यहां नाम दर्ज होने के बाद इन आवेदनों को संबंधित तहसील में भेजा जाता है। इसके बाद संबंधित लेखपाल इनकी जांच करने के बाद निर्धारित समयावधि में आवेदनकर्ता को जारी करते हैं। वर्तमान में न काम जनाधार केंद्र पर हो रहा है और न ही तहसीलों में। ऐसे में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दो माह पहले तक जनपद में जिले में प्रमाणपत्रों का बैकलॉग लगभग 700 से 800 के आसपास था। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह बैकलॉग लगभग तीन हजार के आसपास पहुंच गया है। ऑनलाइन आवेदन तो हो रहे हैं लेकिन आगे काम नहीं बढ़ पा रहा है। इससे पहले लेखपालों की कमी के चलते प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे थे और अब हड़ताल के कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
प्रमाणपत्र न बनने के कारण लोग विभिन्न सेवाओं और परीक्षाओं के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। वर्तमान स्थिति में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 15 तक आवेदन किए जाने थे, लेकिन आय प्रमाणपत्र न बनने के कारण लोग अपने बच्चों का दाखिला तक नहीं करा पा रहे हैं। इसी तरह विभिन्न परीक्षाओं के अभ्यर्थी भी इन्हीं प्रमाणपत्रों के कारण रुके हुए हैं।