भोपाल। जनभागीदारी कर्मचारी संघ प्रदेश मीडिया प्रभारी हितेश गुरगेला ने जानकारी देते हुवे बताया है कि मप्र के समस्त शाश्किय महाविधालयों में जनभागीदारी निधि सहित अन्य मदो से तृतीय एवम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कर्मचारी है जो कि विगत कई वर्षो से अपनी सेवाएं महाविद्यालय विकास में देते आ रहे है किंतु हर बार की तरह इस बार भी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा भेदभाव करते हुए उनकी उपेक्षाएं की जा रही है जबकि शाशन के जो पत्र आदेश जारी होते है वो समस्त विभागों में पालनार्थ होते है किंतु उच्च शिक्षा विभाग एक ऐसा विभाग हैं जो जनभागीदारी कर्मचारीयो के साथ भेदभाव कर ऐसे आदेश जारी कर रहा है जिसमे वह लाभ से वंचित हो।
जनभागीदारी कर्मचारी संघ द्वारा लंबे अरसे से नियमितीकरण की मांग को लेकर माननीय मुख्यमंत्री को कई बार पत्र दिए लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई वही वर्तमान में देखा जाए तो प्रदेश में ऐसे कई महाविद्यालय हैं जिनमे आज भी महाविद्यालयो में कार्यरत जनभागीदारी सहित अन्य निधि से कार्य कर रहे तृतीय एवम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को न्यूनतम मानदेय से कम देकर उनका शोषण किया जा रहा है एवं सामान्य भविष्य निधि अंतर्गत ईपीएफ सहित अन्य योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है वही जब इस संबंध में कर्मचारी संघ द्वारा मांग की जाती है तो प्रदेश के महाविद्यालयो के प्राचार्य कहते हैं कि हमारे पास ऐसा कोई आदेश नहीं है और ना ही श्रम नियम उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत महाविधालयों में कार्यरत जनभागीदारी सहित अन्य निधि से कार्यरत कर्मचारीयो के ऊपर लागू होते हैं।
अब ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग का एक पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें स्वयं विभाग के ही विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ पी एल सनोडिया द्वारा जो पत्र जारी किया है उसका विरोध प्रदेश के महाविधालयों में कार्यरत जनभागीदारी कर्मचारीयो द्वारा किया जा रहा है जिसमे आदेश में जनभागीदारी कर्मचारियों का कही कोई उल्लेख नही हैं की इनका भो ईपीएफ कटोत्रा किया जाए इस संबंध में उच्च शिक्षा महाविद्यालय जनभागीदारी कर्मचारी संघ प्रदेश अध्यक्ष सुनील तोमर,कार्यकारी अध्यक्ष मनीष दुबे, प्रांतीय सचिव त्रिलोक जाटव द्वारा आदेश जारी किए जाने वाले विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी आयुक्त कार्यालय उच्च शिक्षा को पत्र लिखते हुवे आग्रह किया किया है कि सभी कर्मचारियों को एक समान दृष्टि से देखते हुए सभी को सामान्य भविष्य निधि अंतर्गत ईपीएफ सहित योजना का लाभ दिया जाए और इस संबंध में समस्त महाविद्यालय प्राचार्यो को स्पष्ट आदेश प्रदान करने का कष्ट करें अन्यथा संघ द्वारा माननीय न्यायालय की शरण ली जावेगी।जिसकी समस्त जवाबदेही संबंधित अधिकारी की होगी साथ ही पत्र की प्रतिलिपि भी विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा,रीजन आयुक्त पीएफ नई दिल्ली , ईपीएफ आयुक्त जबलपुर को भी दी गयी है।