कोरोना संदिग्ध समझ ब्रेन स्ट्रोक पीड़ित व्यापारी को 4 हॉस्पिटल ने लौटाया, कोमा में गया | INDORE NEWS

NEWS ROOM
इंदौर। हर दिन पांव पसारते कोरोना संक्रमण के बीच जब एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक आया तो बेटे को उपचार के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकना पड़ा। ग्रीन-यलो कैटेगरी के चार अस्पताल भटकने के बाद पांचवें अस्पताल में उपचार मिला, लेकिन इसमें सात घंटे बीत गए। देर से उपचार शुरू होने के कारण पिता अब कोमा में हैं।      
 
उन्हें कब होश आएगा, इसका जवाब डाक्टरों के पास भी नहीं है। लोगों को परेशानी न हो, इसके लिए जिला प्रशासन ने अस्पतालों को ग्रीन, यलो और रेड कैटेगरी में बांटा है। इसके बावजूद अस्पतालों की मनमानी जारी है। माणिकबाग निवासी रेडीमेड कपड़ा व्यवसायी राजेश सेजवाणी के मुताबिक ब्रेन स्ट्रोक के चलते वे अपने 64 वर्षीय पिता खेमचंद को लेकर अस्पतालों में भटकते रहे। पहले उन्हें एपल अस्पताल लेकर गए। यहां हमें करीब दो घंटे बैठाया और एक्सरे किया गया। डॉक्टरों ने रिपोर्ट बताते हुए कहा कि इन्हें फीवर और फेफड़ों में संक्रमण और ब्रेन स्ट्रोक आया है, इसलिए ये कोरोना के संदिग्ध मरीज हैं। इन्हें यलो कैटेगरी के सुयश अस्पताल ले जाएं।

सुयश अस्पताल लेकर पहुंचे तो उन्होंने जांच के कागजात देखकर कहा कि हमारे यहां ब्रेन स्ट्रोक का इलाज नहीं होता, यहां कोरोना संदिग्ध का उपचार हो रहा है। बहुत मिन्नातें करने पर भी उन्होंने विशेष अस्पताल जाने के लिए कहा। वहां पहुंचे तो कहा गया कि अस्पताल में एक भी बिस्तर खाली नहीं है। इन्हें गोकुलदास अस्पताल ले जाएं। इस दौड़-भाग में करीब पांच घंटे निकल चुके थे।

राजेश ने बताया कि गोकुलदास अस्पताल में डॉक्टरों ने ऑक्सीजन सप्लाई और बुखार चेक करते हुए कहा कि मरीज को शून्य प्रतिशत भी कोरोना की आशंका नहीं है। यहां कोरोना के 70 संदिग्ध मरीज हैं और आपके पिता की उम्र को देखते हुए इनके साथ रखना खतरनाक है। इन्हें आप ग्रीन कैटेगरी के अस्पताल लेकर जाएं। इसके बाद जैसे-तैसे कुछ लोगों के सहयोग से वापस ग्रीन कैटेगरी के सीएचएल अस्पताल में भर्ती किया गया। भर्ती करने से पहले एक बार फिर स्क्रीनिंग सहित सभी परीक्षण दोबारा हुए।

इस दौरान कुल सात घंटे बीत गए और पिता का उपचार शुरू हुआ। अब वे कोमा में है। पहले उपचार मिलता तो हालत बेहतर होती। प्रशासन के दबाव में खोला अस्पताल, नहीं मिल रहा इलाज राजेश के मुताबिक प्रशासन के दबाव में अस्पताल खुले हुए हैं, लेकिन लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है। केवल भ्रमित करके भगाया जा रहा है। मैं तो पिता के उपचार का खर्च उठाने में सक्षम हूं, इसके बावजूद ऐसी परेशानी झेलनी पड़ी। जिनकी हालत दयनीय है, उनके हाल समझे जा सकते हैं। कई लोगों को मेरे सामने बहाने बनाकर यहां-वहां भगाया जा रहा था।


18 अप्रैल को सबसे ज्यादा पढ़ी जा रही खबरें

MP में 20 अप्रैल से उद्योगों में काम शुरू होगा
इंदौर: 15 मिनट के अंतराल से दो सर्राफा व्यापारी भाइयों की मौत 
गृह निर्माण के समय ईटों पानी में क्यों भिगोया जाता है, आइए जानते हैं 
बिना परमिशन भोपाल से ग्वालियर आया युवक, मामला दर्ज 
जनसेवा से इंकार करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्रिपद के लिए अमित शाह से मिले 
गृह मंत्रालय ने लॉक डाउन की गाइडलाइन में परिवर्तन किया 
मध्य प्रदेश: लॉक डाउन का मजाक उड़ाने वाले 25 जिलों में संक्रमण
मध्य प्रदेश: आंकड़ा 1000 के पार लेकिन डरने का नहीं, क्योंकि जीत का सिग्नल मिला है
सरकारी कर्मचारियों ने महामारी से लड़ने शिवराज सरकार को 100 करोड रुपए दिए
Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!