इंदौर के कब्रिस्तानाें में आ रहे जनाजों की संख्या 488% का इजाफा | INDORE NEWS

Bhopal Samachar
इंदौर। यह कोई इत्तेफाक हो सकता है या फिर कुछ और लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इंदौर में मुस्लिम समाज के लोगों की मृत्यु दर में 488% की वृद्धि दर्ज की गई है। इंदौर में प्रतिदिन औसत 4-5 लोगों का इंतकाल होता है परंतु अप्रैल दिनांक 1 से 6 तक इंदौर के कब्रिस्तानाें में 127 जनाजे दर्ज किए गए हैं।

इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार श्री हरिनारायण शर्मा की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। श्री शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार मार्च के महीने में (30 दिनों में) इंदौर शहर के सभी कब्रिस्तान में कुल 130 शव दफनाए गए थे। अप्रैल के मात्र 6 दिनों में 127 हो गए।

मुक्तिधाम में शवों का औसत नहीं बढ़ा

हालांकि मुक्तिधामों (हिंदुओं के अंतिम संस्कार का स्थान) में भी शव पहुंचे हैं, लेकिन उनका औसत सालाना औसत के बराबर ही है, खासकर अप्रैल में। कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज खजराना, चंदन नगर, रानीपुरा-दौलतगंज-हाथीपाला, आजाद नगर, टाटपट्‌टी बाखल-सिलावटपुरा-बंबई बाजार में मिले हैं। 

कब्रिस्तान के रजिस्टर में मौत का कारण अन्य बीमारियां दर्ज 

पत्रकार श्री हरिनारायण शर्मा ने खजराना कब्रिस्तान, रानीपुरा-दौलतगंज-हाथीपाला के लिए लुनियापुरा कब्रिस्तान, बंबई बाजार, टाटपट्‌टी बाखल, सिलावटपुरा के लिए महू नाका कब्रिस्तान और चंदननगर, नूरानी नगर, बांक के लिए चंदननगर कब्रिस्तान के आंकड़े जुटाए। हालांकि शहर में कोरोना से मौत 10 ही हुई है, लेकिन इन कब्रिस्तान में पिछले 6 दिनों में ही आंकड़ा 100 पार कर गया है। जो कारण इन कब्रिस्तानों में दर्ज रजिस्टर में है, उसमें बीपी, शुगर, अटैक सहित अन्य बीमारियां लिखी है, बावजूद मार्च महीने के 31 दिन की अपेक्षा 6 दिनों के आंकड़े काफी चौंकाने वाले है। 

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार कोरोनावायरस से अब तक 10 मौतें 

नसरीन बी, उम्र- 53, मो. रफीक-50, मो. असलम-54, शकीना बी-80, अब्दुल हमीद-65, मो. साजिद-41, अन्य जरीन बी-49, जैतून बी- 65, शकील शेख 54 साल, एक अन्य 42 साल का युवक।

मुक्तिधामों के आंकड़े सामान्य 

निगम जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा के मुताबिक औसत 55 से 60 मरीजों की म़ृत्यू हर दिन होती है। भास्कर ने कब्रिस्तानों की तरह शहर के मुक्तिधामों की जानकारी भी जुटाई तो म़ृत्यू का आंकड़ा औसत ही आया। शहर के प्रमुख मुक्तिधाम पंचकुईया, जूनी इंदौर, तिलक नगर और मालवा मिल की पड़ताल की तो मार्च माह में यहां कुल 466 अंतिम संस्कार हुए, जबकि अप्रैल माह में 6 अप्रैल तक यह आंकड़ा 100 पर पहुंचा है। 
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