भोपाल। एम्स भोपाल में कोरोना संक्रमित मरीजों पर माइक्रोबैक्टीरियम-डब्ल्यू (एमडब्ल्यू) दवा के ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गुरुवार सुबह एम्स के आईसीयू में भर्ती तीन कोरोना संक्रमित क्रिटिकल मरीजों को पहला डोज देकर इसका ट्रायल शुरू हो जाएगा। हर मरीज को इंजेक्शन के रूप में एमडब्ल्यू दवा के 3 डोज दिए जाएंगे। इस दवा का वैक्सीन के रूप में पूर्व में भी ट्रायल हो चुका है।
लंग कैंसर, कुष्ठ, टीबी और निमोनिया जैसी बीमारियों के इलाज में इसके परिणाम सकारात्मक रहे थे। इस दवा का इंसानों पर कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है। यह दवा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, जिससे मरीज खुद-व-खुद ही संक्रमण से ठीक हो जाता है। डायरेक्टर डॉ. सिंह के नेतृत्व में प्रो. रजनीश जोशी, प्रो. देबासीस विस्वास, डॉ. सौरभ सैगल, डॉ. सागर खडंगा की टीम इस शोध में शामिल हैं। ट्रायल को 3 माह में पूरा किया जाना है, लेकिन 15 जून तक इसके प्रभाव की पहली प्रारंभिक रिपोर्ट आईसीएमआर को देने है।
बुधवार को शोधकर्ता डॉक्टर्स ने क्लिनिकल ट्रायल के प्रोटोकॉल पर चर्चा के बाद इस काम के लिए टीम को दवा दिए जाने के स्टैंडर्ड अॉपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) की ट्रेनिंग दी। एम्स डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि मरीजों को 3 ग्रुप में बांटकर ट्रायल होगा। पहले सिर्फ क्रिटिकल कोरोना पेशेंट को ही दवा दी जाएगी। एक सप्ताह में इसके प्रारंभिक नतीजे सामने आ जाएंगे। उसी के बाद कोरोना मरीजों पर दवा के प्रभाव के बारे में अधिकारिक रूप से बयान जारी किया जाएगा। इसके बाद हेल्थ वर्कर और बिना लक्षण वाले युवा मरीजों पर ट्रायल होगा, लेकिन इन दोनों कैटेगरी पर एक सप्ताह बाद ही ट्रायल शुरू करेंगे।
एम्स भोपाल के अतिरिक्त दिल्ली एम्स व पीजीआई चंडीगढ़ को भी कोरोना मरीजों पर इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल का जिम्मा दिया है। पीजीआई चंडीगढ़ में अब तक 6 मरीजों पर दवा का सेफ्टी ट्रायल किया गया है। जबकि भोपाल एम्स क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने वाला पहला संस्थान बनने जा रहा है।
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