महिलाएं अब अपने अधिकार के लिए खुल कर लड़ती हैं। कोर्ट में गुजारा भत्ता की रकम करवाना अब बहुत लंबी लड़ाई की बात नहीं रही। यहां प्रश्न यह है कि एक बार गुजारा भत्ता फिक्स हो जाने के बाद जब महंगाई बढ़ जाती है तो जिस तरह कर्मचारियों को DA बढ़ाया जाता है क्या उसी तरह गुजारा भत्ता पर भी कोई फार्मूला लागू होता है।
जानिए क्या है भरण पोषण गुजारा भत्ता कानून:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अध्याय 9 की धारा 125 में भरण पोषण गुजारा भत्ता के आदेश एवं कौन कौन ये भत्ता प्राप्त कर सकते हैं इस के बारे में बताया गया है।
सी.आर. पी. सी. की धारा 125 के अनुसार निम्न व्यक्ति गुजारा भत्ता ले सकते हैं।
वह व्यक्ति जो सम्पन्न है एवं किसी दूसरे का खर्चा वहन करने मे समर्थ हैं, वो इन लोगों को मासिक भत्ता देगा:-
1. अपनी पत्नी जो बेरोजगार है या छोटे बच्चों के कारण या ओर किसी कारण अपना खर्चा चलाने में असमर्थ हैं।
2.अगर पति मुस्लिम हैं तो उसकी सभी पत्नियां गुजारा भत्ता की हकदार हैं।
3.अपने नाबालिग बच्चे जो(वैध व अवैध संतान) जो अपना गुजारा नहीं चला पा रहे हैं।
4.अविवाहित बेटा /बेटी जब तक बेटा/ बेटी की शादी नहीं हो जाती वह अपने पिता से खर्चा ले सकते है। इसमें गोद(दत्तक) पुत्र/पुत्री भी आते हैं।
5. माता-पिता जो वृद्ध या लाचार है, एवं उनके पास कमाई के साधन नहीं है।
6. पत्नी के अंतर्गत ऐसी पत्नी भी आती हैं जो तलाक-शुदा है वह अपना और अपने बच्चों के भरण पोषण भत्ता प्राप्त कर सकती है परन्तु उस महिला ने तलाक के बाद कोई पुनर्विवाह नहीं किया हो।
इन लोगों को न्यायालय इनके पति या पिता या बेटा से गुजारा भत्ता के आदेश दे सकता है।
आवेदन प्रक्रिया एवं क्षेत्राधिकार:-
अगर किसी के खिलाफ मामला दर्ज या कार्यवाही करनी है तो ऐसे जिले में की जा सकती हैं:-
1.पत्नी के संबंध में:- जहाँ पर शादी हुई हो, जहाँ पर पहली बार साथ रहे है, जहाँ पर आखिर बार साथ रहे हो, जिस स्थान पर नाबालिक बच्चे मा के साथ रहते स्कूल जाते हो, अगर पत्नी को जबरदस्ती घर से निकाल दिया गया हो और वह घर से निकल कर जिस स्थान पर रह रही हैं।उसी स्थान से केस कर सकती हैं।
2.माता-पिता के संबंध में:- बेटे के जन्म स्थान से, जहाँ पर आखिर बार साथ रहे हो, उस स्थान से सिर्फ पिता ही केस फाइल कर सकता हैं बेटा पैदा होने के समय जहां पर पिता रह रहा हो।
3. बच्चों के संबंध में:- जहाँ बच्चों का जन्म हुआ हो, जहाँ पर वह अपने पिता के साथ आखिर बार रहे हो, जिस स्थान पर वह स्कूल जाते हैं, जहाँ पर वे अपनी मां या नाना-नानी या किसी के संरक्षण में रह रहे हो।
【उपयुर्क्त में से किसी एक स्थान में जो भी उचित है वहा केस दायर कर सकते हैं】
क्या भत्ता परिवर्तन हो सकता है:-
मजिस्ट्रेट निम्न परिस्थितियों में भत्ता परिवर्तन कर सकते हैं:-
1.अगर न्यायालय को लगता हैं कि इस मंहगाई के दौर में माता-पिता या पत्नी या बच्चों का खर्च बढ़ रहा है मिलने वाले भत्ते में परिवर्तन कर सकता है।
2.अगर पत्नी घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत सहायता के रही हैं।तब भी न्यायालय की कानून के अंतर्गत मिलने वाला भत्ता रदद कर सकता है।
4.तलाक के बाद किसी महिला ने पुनः विवाह कर लिया हो।
कौन-कौन लोगों को गुजारा भत्ता नहीं मिलता है:-
1. अगर हिन्दू पति है तो पहली पत्नी होते हुए दूसरी पत्नी खर्चा नहीं ले सकती हैं।
2. चरित्रहीन पत्नी, जो किसी अन्य पुरूष के संपर्क में रहती हो।
3.बिना किसी तर्क के अपनी मर्जी से अलग रह रही हो।
4.इस कानून में बालिक विवाहित बेटा/ बेटी भी खर्चा नहीं ले सकते हैं।
न्यायालय के द्वारा कितना खर्चा मिलता हैं:-
आरोपी व्यक्ति की आय (कमाई) के आधार पर न्यायालय खर्च बांधता हैं, ये खर्च हजारों से लाखों-करोड़ों रुपये महीना भी हो सकता है। क्योंकि आज के महगाई के दौर में बच्चों के पढ़ाई में भी बहुत ख़र्च होता है।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665