आप की उपासना पद्धति अलग हो सकती है | आप मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर,या गुरुद्वारे में से किसी एक जगह शीश झुकाते हो, पर दुनिया से जाने के बाद सबको एक समान चार कंधों की जरूरत होती है| चार कंधों की यह यात्रा सारे धर्मों और दर्शनों में एक समान है | मध्यप्रदेश में बीते कल कुछ लोगों को ये चार काँधे भी नसीब नहीं हो सके | उज्जैन, भोपाल, छिंदवाडा की यह कहानियाँ इतिहास में अमिट हो गई हैं | हाय रे इन्सान की मजबूरी...!
उज्जैन में कोरोना पॉजिटिव सलमा बी की मौत के बाद यही स्थिति बनी। कब्रिस्तान में उन्हें दफनाने के लिए कोई जाने को तैयार नहीं था। एंबुलेंस के ड्राइवर व स्वीपर की मदद से उन्हें दफनाया गया । भोपाल में नरेश खटीक का सोमवार सुबह ऐसे ही अंतिम संस्कार हुआ। उनके साथ भी यही विडंबना रही कि उनकी न अर्थी कंधा मिल सका, न कोई अंतिम संस्कार के पूर्व की अंतिम रस्में ही पूरी हो पाई। उनकी पत्नी विजया भी बमुश्किल अंतिम दर्शन कर पाई। उन्हें नर्मदा अस्पताल से प्लास्टिक किट बैग में पैक “डेथ बॉडी” एम्बुलेंस से उतारते वक्त के चंद सेकंड के लिए दिखाई गई। ऐसा ही छिंदवाड़ा में भी कोरोना संक्रमित की मौत के बाद परिजन अंतिम दर्शन तक नहीं कर सके, न ही कोई अर्थी को कंधा दे सका ।
ये घटनाएँ कोरोना के कहर का अंतिम परिणाम है | लॉक डाउन इस जंग का पहला पायदान है और इस वक्त सबसे ज्यादा इसी बात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या लॉकडाउन को बढ़ाया जाएगा या नहीं? ऐसा इसलिए क्योंकि १४ अप्रैल को लॉकडाउन समाप्त होने की बात पहले कही गई है| कई राज्य सरकारों और विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार से लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया है| केंद्र सरकार भी इस दिशा में विचार कर रही है| तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना समेत कई राज्य पहले से ही लॉकडाउन बढ़ाने के लिए केंद्र से आग्रह कर चुके हैं|मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो कहा है कि उनके लिए इंसानी जिंदगियां ज्यादा महत्वपूर्ण हैं| जी हाँ ! हम सबके लिए अपनी और अपनों की जिंदगियां महत्वपूर्ण हैं |
विदेशीं से काफी जानकारी बाहर आ चुकी है, स्पेन और इटली से भी इससे जुड़े रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं, जिसमें मुख्य रूप से तीन बातें ही स्पष्ट हो रही हैं- आइसोलेशन, क्वारंटाइन और सोशल डिस्टेंसिंग| यकीन मानिये, अगले कुछ हफ्ते भारत के लिए और महत्वपूर्ण हो गये हैं| दिल्ली और मुंबई से जो लोग राज्यों के दूरदराज इलाकों में पहुंचे हैं, उनके मामले अभी तक सामने आयेंगे | डाक्टर, पुलिस कर्मी और सेवा में लगे अन्य लोग प्रभावित हो रहे हैं | दूरदराज गांवों की बात छोड़ दें कुछ कस्बों तक में जांच और इलाज की सुविधा जैसे- तैसे पूरी हो रही हैं | ऐसे में सुझाव और सलाह के तौर पर आज सबसे महत्वपूर्ण है कि लोगों से दूरी बनाकर रखी जाये और घर में ही रहा जाये| अब यह बेहद जरूरी हो गया है जो लोग कोरोना संभावित हैं, उन्हें क्वारंटाइन किया जाये| कोई भी लक्षण दिखे तो फौरन समीप के अस्पताल जाएँ | यह वायरस छिपाने से फैलता है, जिन्होंने इसे उजागर किया, वे अपना इलाज कराकर लौटे हैं, कुशल हैं, हयात हैं |
यह आत्म साक्षात्कार का समय है| खुद को जानिये और नयी चीजें सीखिये| अपना विश्लेषण कीजिये, यह व्यक्तिगत स्तर, सामुदायिक स्तर और देश के स्तर पर सोचने का समय है |एक मनोवैज्ञानिक का कथन है कि लोग जरूरत के हिसाब से ऊपर चढ़ते हैं, लेकिन संकट के वक्त में लोग वापस नीचे आ जाते हैं| अभी हमें मूलभूत जरूरतों पर जिंदा रहना है, सारी व्यवस्था को सकारात्मक नजरिये से देखिए, यह आत्मनिरीक्षण का समय है| आप रहे तो किसी की आखिरत के समय काम आ सकते हैं |खुद को मजबूत बनाइए, इस लड़ाई में आप पहली पंक्ति के योद्धा हैं |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।