नई दिल्ली। नोबेल कोरोना वायरस के आतंक से पूरे देश बीते 10 दिनों से अधिक समय से लॉकडाउन है। संकट की इस घड़ी में आवश्यक सेवा उपलब्ध कराने वाले योद्धाओं का आभार प्रधानमंत्री से लेकर आम देशवासियों तक सभी प्रकट कर रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कोरोना के योद्धाओं को सरकार ने कई प्रकार की सुविधाएं देने की घोषणा की है। 50 लाख रुपये तक स्वास्थ्य बीमा की सुविधा भी मुहैया कराई गई है लेकिन वहीं इस विषम परिस्थिति में भोजन पकाने के लिए सबसे आवश्यक एलपीजी सिलेंडर लोगों के घरों तक पहुंचाने वाले कर्मचारियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया।
भारत के अधिकांश राज्यों में इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के अधीन गैस कंपनियां लोगों को एलपीजी मुहैया करा रही है। इंडेन गैस, भारत गैस एवं एचपी गैस कंपनियों में ऑफिस से लेकर डिलीवरी ब्वॉय तक लाखों कर्मचारी काम कर रहे हैं। भोजन पकाने के लिए एलपीजी आवश्यक है, अत: कोरोना के आतंक के इस समय में इसे भी आवश्यक सेवाओं में रखा गया है। लोगों के घरों तक एलपीजी पहुंचाने वाले कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डाल कर सेवा प्रदान कर रहे हैं लेकिन इनपर किसी का ध्यान नहीं है।
यहां बताना जरूरी है कि डिलीवरी कमर्चारियों में से अधिकाश एलपीजी कंपनी या वितरक संस्था के कर्मचारी नहीं होते हैं। पिकअप वैन के मालिक प्रति सिलिंडर कमीशन पर कार्य करते हैं। ऐसे में इनको कुछ हो जाए तो गैस कंपनियां भी पल्ला झाड़ लेती हैं। एलपीजी डिलीवरी कर्मचारी लॉकडाउन की स्थिति में भी प्रतिदिन सैकड़ो लोगो के संपर्क में आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त गैस की कीमत भी अधिकांशत: नगद में लेते हैं। कोरोना के इस आतंक में इनका भी खास ध्यान रखना आवश्यक है। यदि इनको कोरोना का संक्रमण हो जाए तो स्थिति कितनी भयावह हो सकती है, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।