FAKE हस्ताक्षर, डॉक्यूमेंट या पोस्ट बनाए तो IPC की किस धारा के तहत FIR होगी

Bhopal Samachar
आजकल बहुत कुछ फर्जी बनने लगा है। कोई बयान जो आपने दिया ही नहीं, आपके नाम से वायरल हो जाता है। कोई दस्तावेज जिस पर आपने सिग्नेचर किया ही नहीं। आपके डिजिटल सिग्नेचर के साथ किसी फाइल में जाकर लग जाता है। आपके हस्ताक्षर किसी दूसरे दस्तावेज से स्कैन करके किसी अन्य दस्तावेज में लगा दिए जाते हैं। पता नहीं क्या-क्या हो जाता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि यदि कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ क्या कार्यवाही की जा सकती है।

दस्तावेज की कूटरचना क्या है

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अध्याय 18, में  धारा 463 से 489 तक दस्तावेजों और चिन्हों संबधी अपराधों एवं दण्डों के विषय में बताया गया है। पर आज के लेख में हम कूटरचना संबधित अपराध को जानेंगे। कूटरचना से तात्पर्य है किसी व्यक्ति के द्वारा झूठे दस्तावेज बनाना या तैयार करना। उन दस्तावेजों का प्रयोग व्यक्ति अपने वास्तविक रूप में करता है, या कोई धोखा देने के उद्देश्य से, कोई व्यक्ति झूठे दस्तावेज बनाता है, वह कूटरचना होती है।

कूटरचना के आवश्यक तत्व

IPC कि धारा 463 के अनुसार निम्न आवश्यक तत्व है:-
जो कोई व्यक्ति किसी झूठे दस्तावेज, फर्जी हस्ताक्षर, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख के किसी भी भाग को इस आशय से बदलता है। जिससे किसी जनता (लोक) को या कोई व्यक्ति को नुकसान या क्षति की जाए या कोई दावे, हक का समर्थन किया गया हो। कोई व्यक्ति संविदा या अनुबंध में कपट करे या सम्पति को अलग करे। तो वह कूटरचना करता है।

कूटरचना का अपराध कैसे होता है

धारा 464 के अनुसार :- वह व्यक्ति जो झूठे दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रचता है। 
1. किसी भी व्यक्ति के हस्ताक्षर करना या चेक पर फर्जी हस्ताक्षर करना, सील लगाना, फर्जी तरीके से कार्य को पूरा करना आदि।
2. किसी भी इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख जैसे डिजिटल हस्ताक्षर की कॉपी, आदेश को बदलना, किसी भी आदेश या दस्तावेज में आपने हस्ताक्षर करना आदि। अपराध की श्रेणी में आते हैं।

वह कार्य जो अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं
1.कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अधिकृत करता है। और अधिकृत व्यक्ति उस व्यक्ति के हस्ताक्षर करता है जिसने उसे अधिकृत किया गया है वह अपराध नहीं होगा। 
2. ऐसे हस्ताक्षर जिससे किसी को कोई जन धन या कोई कोई क्षति नहीं पहुचती वह भी अपराध नहीं है।

FIR कैसे दर्ज होगी 

डॉक्युमेंट्री एविडेंस के साथ आप नजदीकी थाने में FIR दर्ज करवा सकते हैं। 
यदि पुलिस एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करें तो वरिष्ठ अधिकारियों से लिखित शिकायत करें एवं पावती प्राप्त करें। 
निर्धारित 30 दिनों तक यदि आपकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं होती तो पावती के आधार पर आप न्यायालय में याचिका दाखिल कर सकते हैं। 
न्यायालय पुलिस को आदेशित करेगा और पुलिस को एफआईआर दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना पड़ेगा।

कूटरचना के लिए दण्ड:

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 465 के अनुसार:- जो कोई ऐसी कूटरचना करेगा, वह 2 वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोंनो से दण्डित किया जाएगा।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

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