वेंटिलेटर शब्द आपने भी सुना ही होगा लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते इन दिनों सारे देश में वेंटिलेटर की जबरदस्त मांग उत्पन्न हो गई है। सवाल यह है कि वेंटिलेटर क्या होता है। क्या वेंटिलेटर से कोरोनावायरस मर जाता है। आइए आज वेंटिलेटर मशीन के बारे में सब कुछ जानने की कोशिश करते हैं।
ventilator machine क्या काम करती है
रांची, झारखंड के रहने वाले श्री रजनीश कुमार ने यह जानकारी संग्रहित की है। श्री कुमार बताते हैं कि वेंटिलेटर एक मशीन है जो रोगी को सांस लेने में मदद करती है। इसके लिए मुंह, नाक या गले में एक छोटे से कट के माध्यम से एक ट्यूब श्वास नली में डाली जाती है। इसे मैकेनिकल वेंटीलेशन भी कहा जाता है। यह जीवन सहायता उपचार है। मैकेनिकल वेंटीलेशन की जरूरत तब पड़ती है जब कोई रोगी प्राकृतिक तरीके से अपने आप सांस लेने में सक्षम नहीं होता है।
वेंटिलेटर मशीन निम्नलिखित कार्य करती है-
फेफड़ों में ऑक्सीजन भेजती है।
शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड निकालती है।
लोगों को आसानी से सांस लेने में मदद करती है।
उन लोगों के लिए सांस लेना संभव बनाती है जिन्होंने खुद से सांस लेने की क्षमता खो दी है।
वेंटिलेटर मशीन का उपयोग कब-कब किया जाता है
एक वेंटिलेटर अक्सर कुछ समय के लिए प्रयोग किया जाता है जैसे सर्जरी के दौरान जब आपको जनरल एनएसथीसिया दिया गया हो।
एनेस्थीसिया के असर को प्रेरित करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं सामान्य श्वास को बाधित कर सकती है। एक वेंटिलेटर यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि आप सर्जरी के दौरान सांस लेना जारी रखें।
वेंटिलेटर का प्रयोग गंभीर फेफड़ों की बीमारी या अन्य सांस की परेशानी के लिए भी किया जा सकता है जो सामान्य तरीके से स्वास्थ लेने में क्षमता को प्रभावित करती है।
वेंटिलेटर से कितनी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है
कुछ लोगों को लंबे समय तक या अपने पूरे शेष जीवन के लिए वेंटिलेटर का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। इन मामलों में मशीनों का इस्तेमाल अस्पताल के बाहर-लंबी अवधि की देखभाल सुविधाओं में या घर पर किया जा सकता है। वेंटिलेटर किसी से किसी प्रकार की बीमारी का इलाज नहीं किया जा सकता है बल्कि इसका उपयोग केवल रोगी को सांस लेने में सहायता के लिए किया जाता है।
आईसीयू वेंटीलेटर की कीमत कितनी होती है
अस्पताल के प्रकार के आधार पर एक मरीज को वेंटीलेटर पर रखने की प्रतिदिन की लागत ₹4000 से ₹10000 के बीच हो सकती है। भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक स्वदेशी आईसीयू वेंटीलेटर मशीन की कीमत लगभग 4.75 लाख रुपए है, जबकि आयातित मध्यम स्तर के वेंटिलेटर में लगभग ₹7 लाख खर्च होते हैं। उच्च स्तर के आयातित वेंटिलेटर की लागत लगभग ₹12 लाखों रुपए है।
कोरोना वायरस के मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत क्यों है
अब तक हुई स्टडी में डॉक्टर बताते हैं कि कोरोनावायरस का संक्रमण श्वास नली के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। सरल शब्दों में कहें तो कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्ति सांस नहीं ले पाता और इसी के कारण उसकी मौत हो जाती है। यदि कोरोनावायरस के मरीज को वेंटीलेटर पर लिया जाए तो उसके साथ चलने लगेगी। उसकी तत्काल मृत्यु नहीं होगी।
कोरोनावायरस का इलाज क्या है
दुनिया भर में डॉक्टर कोरोना वायरस को मारने के लिए Hydroxychloroquine का उपयोग कर रहे हैं। यह एक ऐसी दवा है जो भारत में सबसे ज्यादा उत्पादित की जाती है। दुनिया भर में इसकी जरूरत कितनी है इसका अनुमान सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दवाई को प्राप्त करने के लिए अपना नियंत्रण खो बैठे और भारत को धमकी तक दे बैठे। करगिल युद्ध में भारत की मदद करने वाले देश इजराइल को जब भारत ने Hydroxychloroquine भेजी तो इसराइल ने भारत का धन्यवाद कुछ उसी प्रकार किया जैसे कि भारत ने कारगिल युद्ध जीतने के बाद इसराइल किया था।
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