यदि हम किसी चीज को पानी में भिगो दें तो फिर उसे चिपकाना आसान नहीं होगा। सूखी हुई चीजें आसानी से चिपक जाती है जबकि पानी में भीगी हुई चीजों को चिपकाना मुश्किल होता है। बावजूद इसके घर बनाते समय या किसी भी प्रकार का निर्माण करते समय ईटों को आपस में चिपकाने से पहले पानी में भिगोया जाता है। सवाल यह है कि ऐसा क्यों किया जाता है। क्या इसके पीछे ठेकेदार की कोई साजिश होती है, वह हमारा निर्माण कमजोर करता है ताकि उसे दोबारा बनाने का मौका मिले या फिर इसका अपना कोई विज्ञान है। आइए जानते हैं:
राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान और अनुसंधान संस्थान से निर्माण प्रबंधन में स्नातक श्री सुधीर श्रीवास्तव बताते हैं कि सीमेंट बनाने के लिए चूना पत्थर (लाइम स्टोन) को पीसकर उसके चूर्ण को 1600 डिग्री पर रोटरी भट्टी में पकाया जाता है जिसके कारण उसका कैल्सीनेशन हो जाता है (अर्थात उसके अंदर मौजूद पानी के कण पूर्णत: सूख जाते हैं)। इसके बाद बचे हुए चूर्ण को ठंडा करके उसमें जिप्सम, फ्लाई ऐश तथा कुछ अन्य एडमिक्सचर मिलाकर सीमेंट का निर्माण होता है।
अब यह सीमेंट पुनः अपने उसी खोए हुए कुछ प्रतिशत पानी के लिए प्यासा रहता है। अर्थात यदि उसको पुनः उतना ही पानी मिल जाए तो सीमेंट और पानी मिलकर हाइड्रेशन की प्रक्रिया से गुजरते हैं जिसके दौरान बहुत गर्मी निकलती है और वह सीमेंट पुनः पत्थर के रूप में बदल जाता है।
हम लोग सीमेंट के इसी गुण का फायदा उठाते हैं और उसे रेत और पानी के साथ मिलाकर मन वांछित अनुपात का मसाला बनाते हैं जिसके द्वारा हम ईंटों की जुड़ाई करते हैं।
हम जानते हैं कि एक सूखी हुई ईंट के अंदर पानी को अवशोषित करने की क्षमता होती है, अब यदि ईंटों की जुड़ाई के दौरान सीमेंट मसाले के पानी को यदि सूखी ईटों द्वारा सोख लिया जाएगा तो सीमेंट की हाइड्रेशन प्रक्रिया उचित प्रकार से नहीं हो पाएगी और सीमेंट कभी भी पत्थर की तरह मजबूत नहीं हो पाएगा और मात्र रेत बनकर रह जाएगा।
इसलिए यह बहुत आवश्यक है सीमेंट, रेत और पानी का जो मसाला हमने बनाया है उसके भीतर का पानी हाइड्रेशन की क्रिया में काम आए ना कि ईंटों द्वारा अवशोषित कर लिया जाए।
इसीलिए बहुत जरूरी है कि हम चिनाई का काम शुरू करने से पहले ईंटों को पर्याप्त रूप से भिगोकर प्रयोग करें क्योंकि भीगी हुई ईंट कभी भी मसाले का पानी अवशोषित करने का प्रयास नहीं करेगी और सीमेंट के हाइड्रेशन की प्रक्रिया अच्छे तरीके से होगी और आपकी दीवार बहुत मजबूत बन सकेगी।
इसके अलावा चिनाई पूरा होने के 8–10 घंटे बाद आपको दीवार की तराई भी करनी चाहिए क्योंकि हवाओं द्वारा मसाले का पानी सुखा दिया जाता है और उससे भी हाइड्रेशन की प्रक्रिया में बाधा पड़ती है। इसीलिए पानी की उस कमी को पूरा करने के लिए दीवार पर अलग से भी तराई करना भी आवश्यक होता है।
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