पहाड़ से उतरते समय ट्रक की तरह ट्रेन का इंजन बंद कर दें तो क्या होगा? | GK IN HINDI

Bhopal Samachar
यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि एक्सप्रेस ट्रेन का माइलेज काफी कम होता है (चूक गए थे तो यहां क्लिक करें)। अब प्रश्न यह उपस्थित हुआ है कि जिस तरह पहाड़ से नीचे उतरते समय ट्रक का इंजन ऑफ कर दिया जाता है ताकि ईंधन बचाया जा सके, यदि यही प्रक्रिया ट्रेन के मामले में अपनाई जाए। पहाड़ से नीचे उतरते समय ट्रेन का इंजन बंद कर दिया जाए तब क्या होगा। क्या ईंधन की बचत होगी। 

क्या खुले मैदान में ट्रेन को 120 की स्पीड पर दौड़ा कर बंद कर सकते हैं

श्री अजयकुमार निगम, मुम्बई डिवीज़न, मध्य रेल में लोको पायलट बताते हैं कि ऐसा नहीं कर सकते। ट्रेन में आगे लगे लोकोमोटिव का काम सिर्फ ट्रेन को खींचना ही नहीं है, बल्कि और भी कई काम हैं जिनको लोकोमोटिव में लगी हुई विभिन्न मशीनें करती हैं। अतः घाट या समतल रोड पर भी अधिकतम स्पीड प्राप्त करने के बाद लोकोमोटिव को बंद नहीं किया जा सकता। ऐसे कार्यों में सबसे पहला काम है ट्रेन में ब्रेकिंग व्यवस्था का और घाट उतरते समय यदि ब्रेकिंग ठीक से नहीं हुई या हुई ही नहीं, तो आप समझ सकते हैं कि ट्रेन के साथ क्या हो सकता है?

क्या ट्रेन में ब्रेक लगाने के लिए इंजन का स्टार्ट होना जरूरी है

वर्तमान में भारतीय रेल की लगभग सभी ट्रेनों में एयर ब्रेक प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत लोकोमोटिव पर लगाये गए कंप्रेसरों की कंप्रेस्ड एयर का उपयोग पूरी ट्रेन में ब्रेक रिलीज रखने और लगाने के लिए किया जाता है। अब जब लोकोमोटिव को बंद कर दिया जाएगा, तब ये कंप्रेसर भी काम करना बंद कर देंगे। ऐसे में यदि लंबे समय तक ब्रेकिंग नहीं कि गई तो ट्रेन की पूरी लंबाई में ब्रेक रिलीज करने के लिए भेजी गई कंप्रेस्ड एयर धीरे-धीरे वातावरण में लीक हो जाएगी और जरूरत पड़ने पर जब ट्रेन में ब्रेक लगाने के लिए लोको पायलट द्वारा लोकोमोटिव से इस हवा को रिलीज किया जाएगा तो ट्रेन में ब्रेकिंग नहीं होगी। अतः ये खतरनाक है।

इंजन बंद करने पर चलती ट्रेन में क्या-क्या असर पड़ेगा

वैसे अब और ज्यादा लिखने की आवश्यकता रह तो नहीं जाती, क्योंकि जब ब्रेक ही नहीं लगेंगे तो घाट में इंजन बंद करके ट्रेन का संचालन असम्भव ही है। लेकिन फिर भी इंजिन बंद करने से और क्या-क्या असर पड़ेगा यह बताने के लिए कुछ बातें और लिख रहा हूँ→

लोकोमोटिव का हॉर्न भी कंप्रेस्ड एयर से बजता है, जब कंप्रेसर काम नहीं करेंगे तब कंप्रेस्ड एयर नहीं मिलेगी, और जरूरत पढने पर हॉर्न भी काम नहीं करेंगे। और हॉर्न का काम नहीं करने का मतलब A क्लास लोको फेलियर है, ऐसे में नियमानुसार दिन के समय 25 kmph और रात के समय 10 kmph से ट्रेन को चलाना है। जबकि घाट की स्पीड 50 या 60 kmph है, तो ट्रेन विलम्बित भी होगी।

बारिश के मौसम में लोकोमोटिव के लुक आउट ग्लास को साफ करने के लिए जो वाइपर लगाए गए हैं (विंड शील्ड वाइपर) वो भी कंप्रेस्ड एयर से ही चलते हैं, ऐसे में बारिश के मौसम में लोको पायलट को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। 

कुछ ट्रेनों में हेड ऑन जनरेशन का प्रावधान किया गया है, जिसके अंतर्गत पूरी ट्रेन को लाइट, पंखों, एयर कंडीशनर एवं कंट्रोल डिस्चार्ज टॉयलेट सिस्टम (जहाँ लगाए गए हैं) को लोकोमोटिव में लगाये गए होटल लोड कनवर्टर से सप्लाई दी जाती है। ऐसे में यदि घाट में लोकोमोटिव बंद किया गया तो ट्रेन की लाइटिंग व्यवस्था भी ठप्प हो जाएगी, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। 
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