नई दिल्ली। कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए तालाबंदी में पड़े भारतीय नागरिकों के लिए एक और चिंता वाली खबर है। पश्चिम से बादलों का एक झुंड चल पड़ा है। यह बादल जहां भी जाएंगे बारिश होगी। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह बादल उत्तर भारत की तरफ जाएंगे। यानी दिल्ली से लेकर कश्मीर तक बारिश होगी। बेहतर होगा, संभावित बारिश को देखते हुए लोग अपनी तैयारियां पहले से कर ले। खासकर किसान जिनकी फसले खुले में पड़ी हुई हैं।
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ सिस्टम के प्रभाव से उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में 13 अप्रैल से बारिश होने की संभावना है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ ऊंचाई वाले इलाकों में एक-दो स्थानों पर बर्फबारी भी हो सकती है। उत्तराखंड में भी कुछ स्थानों पर बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली में भी बारिश के आसार
इसी पश्चिमी विक्षोभ और उसके प्रभाव से विकसित होने वाले चक्रवाती सिस्टम का प्रभाव मैदानी इलाकों पर भी दिखेगा। अनुमान है कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर और उत्तरी राजस्थान तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 13 और 14 अप्रैल को कुछ स्थानों पर बारिश हो सकती है।
इन भागों में 15 अप्रैल तक हवाओं में नमी बनी रहेगी जिससे हल्के बादलों का आना जाना लगा रहेगा और धूल भरी आंधी या गर्जना के साथ 15 अप्रैल तक बूँदाबाँदी होने की संभावना है। उत्तरी और पश्चिमी राजस्थान में अप्रैल और मई के महीनों में तापमान बढ़ने पर अचानक आँधी और बारिश जैसी स्थितियाँ देखने को मिल सकती हैं।
इस बीच पिछले 24 घंटों के दौरान यानी 11 अप्रैल को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तापमान में बेतहाशा वृद्धि हुई और पालम तथा सफदरजंग दोनों मौसम केंद्रों पर इस सीजन का सबसे अधिक तापमान रिकॉर्ड किया गया। पालम में पारा 39.1 तो सफदरजंग में 36.9 डिग्री सेल्सियस रहा।
तापमान में आएगी कमी
आज हवाओं का रुख बदलेगा, जिससे नमी कुछ बढ़ेगी। यही कारण है कि तापमान में जो बढ़ोतरी पिछले दो दिनों में देखने थी उसमें लगाम लगेगी। इसके बावजूद अगले दो-तीन दिनों में दिल्ली-एनसीआर में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के स्तर को भी पार कर सकता है।
वर्तमान मौसम सिस्टम 16 अप्रैल को आगे निकल जाएगा। 16 अप्रैल को उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों पर मौसम साफ हो जाएगा। लेकिन 17 अप्रैल को एक नया पश्चिमी विक्षोभ पुनः उत्तर भारत के पर्वतों पर दस्तक देगा जिसके चलते पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक पुनः बारिश होने की संभावना नजर आ रही है।
भारत के किसानों से अपील
जैसा कि पुराना अनुभव रहा है। कई बार मौसम वैज्ञानिकों के अनुमान गलत हो जाते हैं। उन इलाकों में भी बारिश हो जाती है जहां संभावना व्यक्त नहीं की जाती। वैज्ञानिक अक्सर घटना हो जाने के बाद उसका कारण बताते हैं, जो कम से कम किसानों के लिए तो कतई फायदेमंद नहीं होता। किसानों की फसलें इन दिनों खुले में रखी हुई हैं। कई जगह कट गई हैं। कई जगह कटाई चल रही है। बेहतर होगा किसान अपने स्तर पर तैयारियां करके रखें। 13 अप्रैल से लेकर 20 अप्रैल तक का समय सावधान रहने वाला है।