यदि कोई व्यक्ति भीड़ को अपराध के लिए भड़काए तो उसके खिलाफ क्या मामला दर्ज होगा, यहां पढ़िए / INDIAN LAW

Bhopal Samachar
आज कल हम देखते हैं कि भारत में ज्यादातर अपराध दुष्प्रेरण के द्वारा ही घटित होते हैं, आम लोगों किसी के बहकावे में आकर ऐसे अपराध को अंजाम दे देते हैं, जिस  अपराध को उसको करना नहीं था। आज हम इस प्रकार के अपराध एवं दंड संबंधित सभी जानकारी को संक्षिप्त रूप में समझेगे। 

क्या है दुष्प्रेरण (दुष्प्रेरित)कार्य :- 

दुष्पेरण (दुष्पेरित) कार्य वह है, किसी व्यक्ति को उकसाना , बुरी प्रेणा देना, विवादित भाषा बोलने के लिए उकसाना, बहलाना, फुसलाना आदि।
दुष्प्रेरक कौन है:- वह व्यक्ति जो दुष्पेरण(उकसाने)संबंधित कार्य करेगा वह दुष्पेरक है।
दुष्प्रेरित व्यक्ति कौन है:- वह पीड़ित व्यक्ति जिसे उकसाया गया हो या दुष्पेरित किया गया है।

क्या कहती हैं भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धाराएं:-

IPC,1860 के अध्याय 5 की धारा 107 से 120 तक दुष्पेरण से संबंधित विषय एवं अपराधों के बारे में वर्णन किया गया है। पर हम आज के लेख में कुछ ही धाराओं को समझेगे अन्य धाराओं की जानकारी अगले लेख देगें। 

धारा 108 (क): भारत से बाहर के अपराधों को भारत में उकसाना:-

उधारानुसार:-  ''अगर मोहन, भारत में राम को जो अमेरिका में विदेशी हैं, अमेरिका में हत्या करने के लिए उकसाता है। इसमे मोहन हत्या के लिए उकसाने का दोषी होगा।

धारा 109:- वह उकसाने वाला अपराध जो दुष्प्रेरित कार्य के परिणामस्वरूप किया जाए:- 

कोई व्यक्ति झूठी गवाही देने के लिए, किसी अन्य व्यक्ति को उकसाता है, दोनो ही व्यक्ति इस धारा के तहत अपराधी होंगे, दोनो को बराबर दण्ड मिलेगा।

धारा 110 एवं 111: अगर कोई व्यक्ति, दुष्प्रेरक के आशय से कोई अलग (भिन्न) अपराध करता है:- 

अगर किसी व्यक्ति को घर जलाने  के लिए उकसाया गया है और वह चोरी भी कर ले तो दुष्पेरित को चोरी का दोषी भी माना जाएगा, एवं दुष्पेरक को यहाँ एक ही अपराध का दोषी ठहराया जायेगा।

धारा 112: एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किसी काम के लिए उकसाता है, और वह व्यक्ति कोई भिन्न अपराध कार्य कर देता है जिससे और भिन्न(नए) अपराध का गठन हो जाता है। इस धारा के अंतर्गत दोनों ही व्यक्ति दण्डिनीय होंगे। यह धारा 111 का विस्तृत रूप है।

धारा 113:-
अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को गंभीर चोट करने के लिए उकसाता है, ओर दुष्पेरित व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को गंभीर चोट करता है ओर उस गम्भीर चोट से अन्य व्यक्ति की मृत्यु तब दुष्पेरक को हत्या के लिए दोषी नहीं माना जाएगा। अगर दुष्पेरक यह जानता कि गम्भीर चोट से मृत्यु हो जाएगी तो वह हत्या का दोषी होता।

धारा 114:-
वह व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसाता है, और (दुष्पेरक) उकसाने वाला व्यक्ति उसी समय जहां अपराध घटित हो रहा है वहां मौजूद हैं तब दुष्पेरित व्यक्ति भी उसी समय इस धारा के तहत दण्डिनीय होगा।

【सभी अपराधों का दण्ड दुष्पेरण(उकसाने)के अनुसार होगा जैसे- चोरी के लिए उकसाना,मारपीट के लिए उकसाना, घर से भगाने के लिए उकसाना आदि अपराध का उसी कानून के लिए दण्डिनीय किया जाएगा।】
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

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