कोरोना वायरस: इंदौर के अस्पतालों में मौत के हवाले मरीज, ना साबुन, ना सैनिटाइजर | INDORE NEWS

Bhopal Samachar
इंदौर। इंदौर के अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मौत का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। मरीजों की मौत का आंकड़ा अस्पतालों की व्यवस्था पर सवाल उठाता है। टीवी अस्पताल में 4 दिन तक आइसोलेशन वार्ड में रहे उद्योगपति नरेश वसाइनी ने बताया कि वार्ड में मरीजों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है। ना तो साबुन है और ना ही सैनिटाइजर। मरीजों को पौष्टिक भोजन भी नहीं दिया जाता। 

शहर के उद्योगपति नरेश वसाइनी पिछले दिनों केरल गए थे। कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते उन्होंने 24 मार्च को एमआर टीबी हॉस्पिटल पहुंचकर जांच करवाई। डॉक्टरों ने उन्हें 27 मार्च तक भर्ती रखा। अस्पताल से निकलने के बाद नरेश वसाइनी ने बताया ‘मेरे साथ इटारसी के रहने वाले गुरतेज सिंह भाटिया भी थे। वे भी जांच करवाने आए थे। सैंपल लेने के बाद डॉक्टरों ने कहा कि दो दिन में रिपोर्ट आ जाएगी तब तक आपको भर्ती रहना होगा। इसके बाद हमें एक ही वाहन से गुजराती कॉलेज के सामने स्थित लाल अस्पताल ले जाया गया। वहां चौथी मंजिल पर हम तीन दिन भर्ती रहे। 26 मार्च की शाम को हमें कहा गया कि आपकी रिपोर्ट निगेटिव आई है और सामान लेकर नीचे आ जाएं।

हम पांच पेशेंट नीचे उतरे। मैंने नर्स से कहा कि मैं गाड़ी बुलवा लेता हूं तो हमें कहा गया कि शहर में कर्फ्यू है। आपको हमारी गाड़ी से छोड़ेंगे। इसके बाद फिर एक गाड़ी से हमें रात 9 बजे सेंट्रल कोतवाली थाने के सामने स्थित एमटीएच अस्पताल की चौथी मंजिल पर ले गए। हमने पूछा कि यहां क्यों ले आए, आप तो डिस्चार्ज का बोल रहे थे। वहां की नर्स ने कहा हमें कुछ नहीं पता अब आप लोगों को यहीं रहना होगा। 

15 लोगों के लिए पानी का सिर्फ एक जार

हमें न बुखार था और न ही सर्दी-खांसी, हम सिर्फ एहतियात के तौर पर अपना चेकअप करवाने गए थे लेकिन वार्ड में हमें दूसरे मरीजों के साथ ही रखा गया। कोरोना आइसोलेशन वार्ड में पेशेंट को पूरी तरह अलग रखने की व्यवस्था होना थी लेकिन मरीज आपस में ही बातें कर रहे थे। वार्ड में गंदगी फैली थी। टॉयलेट तक साफ नहीं थे और गंदगी पड़ी थी। सैनिटाइजर तो दूर साबुन तक नहीं था। 15 लोगों के पानी की व्यवस्था के नाम पर सिर्फ एक जार रखा था। हमने नर्स से कहा कि पानी की व्यवस्था तो अलग करें या हमें घर से बुलवाने की इजाजत दें। हमें न घर का खाना बुलाने दिया गया और न पानी। 

चंदन नगर के आठ लोग एक ही वार्ड में रखे थे

रात में हमें एक वार्ड में ले जाया गया। वहां चंदननगर के 8 लोग थे। वहां महिला भी थी तो हमने कहा कि पांच लोग उसी वार्ड में कैसे रहेंगे तो फिर पास वाले वार्ड में शिफ्ट किया। रात को हमें खाना भी नहीं मिला। सुबह उठकर नाश्ते के लिए पूछा तो भी कोई व्यवस्था नहीं की। किसी संस्था की तरफ से पोहे के पैकेट अस्पताल भेजे गए थे। दोपहर 12 बजे हमें वही पैकेट दिए और बताया कि यही खाना है। 

सीएमएचओ ने पानी पीने से किया मना 

वसाइनी ने बताया हमारी रिपोर्ट 27 मार्च की दोपहर तक भी नहीं आई थी। हमारे बाद रेसकोर्स रोड, कालानी नगर और एक अन्य स्थान की रहने वाली महिला की रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी। तीनों को डिस्चार्ज कर दिया। तब हमने विधायक मालिनी गौड़, संभागायुक्त को जानकारी दी। सीएमएचओ अस्पताल आए और बोले कि दबाव क्यों बनवा रहे हो। मैंने कहा इस जार का पानी पीजिए। उन्होंने मना कर दिया तो मैंने कहा जब  आप यह पानी नहीं पी सकते तो मरीज के बारे में तो सोचिए। उन्होंने देर रात हमारी रिपोर्ट दी, जो निगेटिव थी। तब हम वहां से छूट सके। 

वहीं, सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिया का कहना है हमारा स्टाफ भी मरीजों के पास जाने से घबरा रहा है। सफाईकर्मी भी नहीं आ रहे हैं। खाने की व्यवस्था में शुरुआत में समस्या आई थी। अब तो हम भी वही खा रहे हैं।

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