महिलाओं पर हो रहे अत्याचार कभी कम नही होते हैं। हमने हमारे कुछ लेखों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के बारे में जानकारी दी है। आज हम उन विवाहित महिलाओं के बारे में बताएगे, जो महिलाएं अपने ससुराल में पति या पति के नातेदार द्वारा क्रूरता या डर का शिकार हो रही है। वह किस धारा के अंतर्गत अपनी शिकायत नजदीक थाना में या संबंधित अधिकारी के पास जाकर दर्ज करा सकती हैं।
जानिए क्या है भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 498-क
किसी महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के ऊपर निम्न आत्यचार किए जाए:-
1. जानबूझकर महिला को आत्महत्या के लिए उकसाना।
2.महिला को पति, देवर, सास- ससुर ननद या किसी भी सुसराल पक्ष के द्वारा मानसिक पीड़ा या शारिरिक क्षति पंहुचाना।
3. शादी के सात वर्ष पूरे होने से पहले दहेज की बार-बार मांग करना एवं महिला को प्रताड़ना देना।
4. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113 (क) के अनुसार अगर किसी महिला की मृत्यु शादी के सात वर्ष से पहले ससुराल में होती हैं, तो न्यायालय इस मृत्यु को संज्ञान ले सकता है।
5. पति या पति के नातेदार द्वारा महिला को डराना, धमकाना, भय उत्पन्न करना, जबरदस्ती परेशान करना, जलाकर कर मारने की कोशिश करना या मार देना आदि।
दंड का प्रावधान:-
यह अपराध एक संज्ञये एवं अजमानतीय अपराध है। एवं अशमनीय (समझौता योग्य नहीं) है, इसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (जिलासत्र न्यायाधीश) द्वारा की जाती हैं। इस धारा के अपराध में अपराधी को तीन वर्ष की कारावास ओर जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
उधारानुसार वाद:-
विजय रतन *बनाम* उत्तर प्रदेश राज्य: - इस वाद में पति एवं उसके नातेदार ने पत्नी के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया एवं उसको पीड़ा दे-दे कर मायके भेज दिया। इस क्रूरता तथा प्रताड़ना के कारण वह महिला मानसिक और गम्भीर रूप से बीमार हो गई, एवं उसने मायके के स्थानीय न्यायालय में पति के खिलाफ वाद दायर किया एवं जिला मजिस्ट्रेट ने आरोपी को धारा 498 - क, के अधीन दोषी ठहराया।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665