कई बार ऐसा होता है कि हमे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी पता है और हम संबंधित अधिकारी को उस अपराध को होने की जानकारी सबूत के साथ देते हैं, पर कुछ प्रशासनिक अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते है। एवं उस जानकारी को जानबूझकर छिपा लेते है, बाद में वह अपराध घटित हो जाता हैं, या हम स्वयं उस अपराध को रोक लेते हैं। तब उन प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ जिसे हमने अपराध घटित होने की सूचना दी थी। IPC कि किस धारा के अंतर्गत FIR दर्ज कर सकते हैं जानिए।
क्या कहती है भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 119:-
जो कोई लोकसेवक होते हुए :-
1. जानबूझकर किसी घटना की जानकारी छिपायगा या अपराध को।
2. जानबूझकर किसी अपराधी को अपराध करने से नहीं रोकेगा।
3. जानबूझकर किसी अपराध से संबंधित सूचना का संज्ञान(गंभीरता) नही लेगा।
4. कोई शिकायत को उच्च अधिकारी को नहीं भेजना या शिकायत को छुपा लेगा आदि।
दण्ड का प्रावधान:-
धारा 119 के अपराध संज्ञये और असंज्ञेय दोनों तरह के होते हैं, यह अपराध समझौता योग्य भी नहीं है। इस धारा के अपराध के दण्डो को तीन भागों में बांटा गया है।
1. यदि लोकसेवक द्वारा अपराध कर दिया गया हो:-
जो भी सामान्य अपराध सरकारी कर्मचारी द्वारा किया है, उस अपराध कि सजा की, आधी सजा या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जाएगा। यह अपराध जमानतीय ओर अजमानतीय दोनों प्रकार के हो सकते है।
2. अगर ऐसा अपराध किया हो जिसकी सजा मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास से हो:-*
तब लोक-सेवक को इस अपराध में दस वर्ष की कारावास होगी। यह अपराध, अजमानतीय अपराध होगा।
3. अगर कोई अपराध नहीं किया है तब:-
कोई लोकसेवक द्वारा सिर्फ सूचना को छुपाया गया है, परन्तु कोई अपराध नहीं किया गया है तब जो भी अपराध की सजा है, उसकी एक चौथाई सजा या जुर्माने या दोनो से दण्डित किया जाएगा। यह अपराध जमानतीय अपराध होगा।
उधारानुसार:- अगर किसी पुलिस अधिकारी को लूट से संबंधित सूचना की जानकारी मिल जाती हैं, पर वह पुलिस अधिकारी जानबूझकर इस सूचना का लोप(छुपा लेता हैं) कर देता है। बाद में लूट हो जाती हैं। यहां पर वह पुलिस अधिकारी धारा 199, के तहत दोषी पाया जाएगा।
बी.आर.अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665