सीएम सर, शिवपुरी कलेक्टर खतरनाक आदेश जारी कर रहीं हैं, रोकिए / KHULA KHAT to CM Shivraj singh

Bhopal Samachar
श्रीमान, शिवपुरी जिले की कलेक्टर महोदय के विचित्र और दुस्साहस पूर्ण निर्णयों ने पूरे जिले की जनता को भगवान भरोसे कर दिया है। सबसे पहले 20 अप्रैल से कलेक्टर महोदय ने लॉक डाउन में सुबह 7 से 5 ढील देकर पूरे शहर में मेले और मजमे का माहौल बनवा दिया जो 20 अप्रेल से लगातार देखने को मिल रहा है। आदेश में कहा गया कि शाम 5 बजे के बाद समस्त दुकानें बंद हो जाएंगी तथा लोग लॉक डाउन का पालन करेंगे। 

जब सुबह 7 से शाम 5 बजे तक धमाल मचा लेंगे तो शाम के 5 बजे के बाद तो आराम ही करेंगे ना। इसके विपरीत ग्वालियर जिला भी ऑरेंज जोन में होने पर भी ग्वालियर कलेक्टर द्वारा किसी भी तरह की रियायत नहीं दी गई। आज ग्वालियर में कोरोना का एक मरीज फिर से मिल गया है। शुक्र है ग्वालियर कलेक्टर का अगर उन्होंने भी शिवपुरी कलेक्टर की तरह कोताही बरती होती तो वायरस कहाँ कहाँ फैलता। परंतु शिवपुरी कलेक्टर महोदया को पूर्ण विश्वास है कि शिवपुरी के 13 लाख लोगों में कोरोना का वायरस कहीं नहीं है औऱ ना ही वो बाहर से यहां आ सकता है। 

भगवान करे ऐसा ही हो परंतु कहीं एक भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित निकल आया तो उससे वायरस को फैलने से कैसे रोक पाएंगे। ऊपर से अब जो मरीज मिल रहे हैं उनमें से 80℅ मरीजों में कोरोना के कोई भी लक्षण नहीं है।

अब आज कलेक्टर महोदया ने शासन के दिशा निर्देशों के खिलाफ नया आदेश निकाल दिया है। शासन ने आदेश दिया था कि प्रदेश में हाई स्कूल / हायर सेकेंडरी की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन घर पर कराया जाए, तथा इसमें भी कोरोना के ग्रीन जोन वाले जिलों में जिला कलेक्टर दिए गए ऑप्शनों में से सुविधा अनुसार चुन सकेंगे परंतु शिवपुरी जो ऑरेंज जोन में है वहां कलेक्टर महोदय ने आदेश दिया है कि दिनांक 24 अप्रैल से बोर्ड की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य शा.उत्कृष्ट विद्यालय क्र.1 एवं शा.उ.मा.वि. क्र2 किया जाएगा। 

श्रीमान मेरी समझ में नहीं आ रहा कि शिवपुरी कलेक्टर महोदया की समस्या क्या है, वो वे सारी परिस्थितियां क्यों निर्मित कर रहीं है जिससे इस संकट के समय स्थितियां और गंभीर हो रहीं हैं। जब अन्य जिलों में घर पर मूल्यांकन कराया जा रहा है तो शिवपुरी में क्यों शिक्षकों और उनके परिवारों की ज़िंदगी दाव पर लगाई जा रही है। शिक्षक को बुला कर कॉपी का बंडल देकर घर भेजा जा सकता है पर सबको बुलाकर कॉपी का मूल्यांकन कराना कहाँ की समझदारी है। 

जब 7 से 11 बजे तक छूट देकर काम चल रहा था तो 7 से 5 की छूट की जरूरत क्या है। और जब 7 से 5 तक छूट देकर पुलिस प्रशासन की इतने दिनों की मेहनत पर पानी फेर ही दिया है तो 5 बजे के बाद लॉक डाउन का मतलब क्या बचता है।

मेरा निवेदन है इन निर्णयों पर पुनः विचार कर राज्य शासन इन्हें रद्द करने की कृपा करें क्योकि इन सारी बातों में केवल शहर, राज्य और देश का ही अहित होगा कलेक्टर महोदया का नहीं। बुरे से बुरी स्थिति में मरेंगे तो कर्मचारी और जनता ही, कलेक्टर का तो केवल ट्रांसफर होगा।
धन्यवाद
गोपनीयता की शर्त का पालन करते हुए पत्र लेखक का नाम गोपनीय रखा गया है।


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