आए दिन न्यूज पेपर, टी. वी.चैनल, आदि में देखते हैं कि महिलाओं पर कितने आत्यचार होते हैं। वो घर की चार-दिवारी में या घर के झगड़े से परेशान होकर आत्महत्या कर लेती हैं। भारत में ज्यादातर महिलाएं ग्रामीण क्षेत्र में रहती हैं उनको भारत सरकार द्वारा बनाये गए घरेलू हिंसा कानून के बारे में मालूम नहीं होता हैं। कुछ महिलाएं शहरों ऐसी भी है जिनको कानून के बारे में जानकारी तो है पर वो भी पारिवारिक दबाव में आगे नहीं आती हैं। पर हम आज के लेख में घरेलू हिंसा कानून की सम्पूर्ण जानकारी संक्षिप्त रूप में देगे।
क्या है घरेलू हिंसा कानून:-
वर्ष 2005 में भारत सरकार द्वारा 13 सितम्बर 2005 को महिलाओं के संरक्षण में घरेलू हिंसा अधिनियम राष्ट्रीय द्वारा स्वीकृत किया गया एवं 14 सितंबर 2005 से यह अधिनियम प्रभावी हुआ।
यह कानून महिला बाल विकास द्वारा ही संचालित किया जाता हैं एवं शहरी क्षेत्रों महिला बाल विकास द्वारा जोन के अनुसार आठ संरक्षण अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। जो घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला की शिकायत सुनते हैं एवं जांच के बाद प्रकरण न्यायालय भेज देते हैं।
घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत आने वाली हिंसा
परिवार का कोई भी व्यक्ति(पुरूष) अगर महिला (महिला से तात्पर्य पत्नी, लड़की, भाभी, या परिवार की कोई भी महिला) मारता है, उसके साथ अभ्रद भाषा में बात करता है, किसी भी कार्य करने के लिए विवश करता है तो महिला घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत मामला दर्ज करा सकती है।
1. शारिरिक हिंसा- मुक्का मरना, ठोकर या लात मरना, मारपीट करना आदि।
2.लैंगिक हिंसा- अपमानित करना, बलात्कार, अश्लील बातें करना, एवं दुर्व्यवहार करना आदि।
आर्थिक हिंसा- बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे न देना, घर का खर्चा जैसे - खाना, दवाई ,कपड़े, आदि का खर्च न देना, नौकरी करने से रोकना या कोई काम जो रोजगारमुखी से संबंधित है उसको करने से रोकना आदि।
कैसे मिलती हैं राहत:-
अगर कोई महिला घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करती हैं तो जिला मजिस्ट्रेट आरोपी को नुकसान की भरपाई करने का आदेश और साझा घर के अंतर्गत निवास उपलब्ध कराने के आदेश जारी कर सकता है। अगर कोई आर दिये गए किसी भी आदेश का पालन नहीं करता है तो अधिनियम की धारा 33 के अंतर्गत एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दिनों से दण्डित किया जा सकता हैं।
महिलाएं शिकायत के लिए कहा संपर्क करें:-
पीड़ित महिला निम्न स्तर पर शिकायत दर्ज कर सकती हैं जैसे- महिला बाल विकास आयोग, बाल विकास परियोजना अधिकारी आदि से शिकायत दर्ज कर सकती हैं। महिलाएं किसी भी सरकारी या NGO से संपर्क किया जा सकता हैं, पुलिस स्टेशन से संपर्क कर सकती हैं या किसी भी सहयोगी के साथ या स्वंय जिला न्यायालय में प्रार्थना पात्र डाल सकती हैं।
महिलाओं के कानूनी अधिकार :-
इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी पुलिस अधिकारी, संरक्षण अधिकारी एवं मजिस्ट्रेट की होती हैं।जो महिलाओं को उनके अधिकार दिलाते हैं।
1. पीड़ित महिला इस कानून के अंतर्गत किसी भी राहत के लिए आवेदन कर सकती हैं।
2.पीड़ित महिला किसी भी सेवा प्रदाताओं की सहायता ले सकती हैं।
3.पीड़ित महिला किसी भी संरक्षण अधिकारी से सम्पर्क कर सकती हैं।
4. पीड़ित महिला निःशुल्क विधिक सहायता ले सकती हैं।
5. कोई भी पीड़ित महिला भरतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत क्रिमिनल याचिका भी दाखिल कर सकती है। इसके अंतर्गत अपराधी को तीन साल की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।लेकिन पीड़ित महिला को गंभीर शोषण सिद्ध करने की आवश्यकता है।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665