कई बार परिस्थितियां ऐसी निर्मित होतीं हैं कि किसी अपराध की शिकायत हम तत्काल नहीं कर पाते, कुछ समय बाद जब शिकायत करने जाते हैं तो पुलिस सबसे पहला सवाल यही करती है कि अब तक शिकायत क्यों नहीं की। कोर्ट में दूसरी पार्टी का वकील भी एफआईआर देरी से दर्ज होने का फायदा उठाता है। सवाल यह है कि क्या एफआईआर दर्ज कराने में देरी हो जाने से केस कमजोर पड़ जाता है। आइए जानते हैं कानून क्या कहता है।
शिकायत में देरी पर क्या कहती दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973, के अध्याय 36 में धारा 467 से 473 तक कुछ अपराधों पर निर्णय करने के लिए (परिसीमा) अंतिम समय सीमा के बारे में बताया गया है। यह अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग तय की गई है। इसके अलावा कुछ अपवाद भी हैं। कृपया ध्यानपूर्वक पढ़िए ताकि भविष्य में कभी कोई अधिकारी, पुलिस या वकील शिकायत की समय सीमा को लेकर प्रश्न करे तो आप या आपके परिजन अपराधबोध से ग्रसित ना हों बल्कि निर्भीक होकर परिस्थितियों का वर्णन करें एवं दृढ़तापूर्वक मामला दर्ज करने का निवेदन करें।
न्यायालय द्वारा कोई भी अपराध को संज्ञान लेने की समय सीमा
आप CRPC की धारा 468, निम्न परिसीमा काल के बाद शिकायत दर्ज नहीं कर सकते है, एवं न्यायालय इस समय सीमा के बाद किसी भी अपराध की शिकायत पर विचार नहीं करेगा।
समय - सीमा काल की अवधि:-
(क). यदि कोई अपराध केवल जुर्माने से दण्डिनीय हो, तब 6 माह के अंदर आप शिकायत कर सकते हैं।
(ख). अगर कोई अपराध की सजा एक वर्ष एवं जुर्माना हैं, तब आप एक वर्ष के अन्दर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
(ग). अगर कोई अपराध की सजा तीन वर्ष एवं जुर्माना से दण्डिनीय है, तब 3 वर्ष के अंदर कभी भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
धारा 468 की उपधारा【3】:-
जिन अपराधों की सजा कठोरतम है जैसे :- हत्या, मानव-वध, बलात्कार, घोटाला आदि की शिकायत के लिए कोई समय सीमा नहीं है, कभी भी आप इस तरह के अपराधों की शिकायत दर्ज कर सकते हैं, और न्यायालय आपकी शिकायत का जल्द ही संज्ञान लेगा।
परिसीमा - समय का प्रारंभ
1.जब भी पीड़ित व्यक्ति को या पुलिस अधिकारी को पता चलेगा तभी से परिसीमा (अंतिम अवधि) काल का प्रारंभ होगा।
2. अगर हमारा समय निकल जाने के बाद अपराधी का पता लगता है, तब परिसीमा काल उसी समय से प्रारंभ होगा।
कुछ दशा में समय को छोड़ देना :-
1. आपका अपराध किसी दूसरे स्थान पर हुआ है, तब न्यायालय कुछ समय के लिए अपवर्जन लगा सकता है ,और न्यायालय आपके केस को संबंधित न्यायालय में भेजेगा।
2. अगर अपराध किसी लोक सेवक द्वारा किया गया है, तब संबंधित विभाग के अधिकारी से मंजूरी ली जाएगी।
3. अगर कोई अपराधी भारत या किसी राज्य में भाग गया है, या गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गया है, जब तक वह अपराधी गिरफ्तार नहीं किया जाता तब तक उस समय अवधि को छोड़ सकते है।
जिस दिनांक को न्यायालय बंद हो उस दिन रोक:-
अगर कभी ऐसा होता हैं कि आपकी परिसीमा अवधि उस दिन समाप्त हो रही हैं, जिस दिन न्यायालय बंद है, तब आप उस दिन के बाद जब न्यायालय खुला रहेगा अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, एवं न्यायालय आपकी शिकायत का संज्ञान लेगा। एवं तभी से आपका परिसीमा काल प्रारंभ हो जाएगा।
बी.आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665