भोपाल। 40 साल से राजनीति के अजय योद्धा, छिंदवाड़ा के महान नेता, इंदिरा गांधी के तीसरे पुत्र, मैनेजमेंट में माहिर, राजनीति के चतुर खिलाड़ी और पता नहीं कितनी उपाधियों से सुसज्जित श्री कमलनाथ की किस्मत इन दोनों बहुत खराब चल रही है। सदन में बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा देकर भागना पड़ा और अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी वह सभी दलीलें खारिज कर दी है जो उन्होंने राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट का आदेश देने के बाद दी थी।
कमलनाथ ने राज्यपाल के आदेश को चुनौती दी थी
इस मामले में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की ओर से दलील दी गईं थी कि राज्यपाल चालू सत्र में मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने का आदेश नहीं दे सकते राज्यपाल सिर्फ सत्र बुला सकते हैं। हालांकि मामले में कमलनाथ ने बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
राज्यपाल फ्लोर टेस्ट के लिए किसी भी समय आदेश दे सकता है: सुप्रीम कोर्ट
तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ना केवल राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने वाला बयान दिया था बल्कि लिखित जवाब देकर भी राज्यपाल के आदेश को मानने से इनकार किया था। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी। सुप्रीमकोर्ट ने मध्य प्रदेश के मामले में आज विस्तृत आदेश देते हुए कहा कि चालू सत्र में भी राज्यपाल मुख्यमंत्री से बहुमत साबित करने को कह सकते हैं इसमें कोई बाधा नहीं है।
कमलनाथ की राजनैतिक समझ और चतुराई पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने कमलनाथ की राजनीतिक समझ और चतुराई पर सवाल उठा दिए हैं। कमलनाथ ने जिस तरह से अपनी ब्रांडिंग कराई थी। 40 साल की सीनियरिटी। सबको साथ लेकर चलने का गुण। मिस्टर मैनेजमेंट और राजनीति की बारीकियों के विशेषज्ञ। आंसर शीट में इन तमाम विषयों के आगे पासिंग मार्क्स भी नजर नहीं आ रहे हैं। ना तो वह खतरा भाग पाए और ना ही कांग्रेस की गुटबाजी पर नियंत्रण बना पाए। यहां तक कि उन्हें राजनीति की बारीकियों के बारे में भी नहीं पता था। राज्यपाल से लड़ते रहे परंतु बुरा वक्त गुजार नहीं पाए। अंततः इस्तीफा देकर भागना पड़ा।
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