भोपाल। 24 मार्च 2020 को भारत में लोक डाउन होने के बाद मध्य प्रदेश एवं भारत सरकार द्वारा आश्वस्त किया गया था कि यदि कोई व्यक्ति अपने घर के बाहर फस गया है तो उसके भोजन का प्रबंध सरकार करेगी परंतु महाराष्ट्र में ऐसा नहीं हुआ। मध्य प्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले मजदूर मोतीलाल साहू की महाराष्ट्र के ठाणे में भूख से तड़प-तड़प कर मौत हो गई।
किसी भी सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली
38 वर्षीय मोतीलाल साहू के परिवार में उनकी पत्नी और 3 बेटियां हैं। मोतीलाल साहू नवी मुंबई में हाउस पेंटर का काम करते थे, वह लॉकडाउन की वजह से वहां फंस गए थे।पैसा और खाना खत्म होने के बाद जब तमाम कोशिशों के बाद भी कोई सरकारी मदद नहीं मिली तो मोतीलाल साहू 50 मजदूरों की टोली के साथ मुंबई से मध्य प्रदेश की तरफ पैदल ही चल दिए। प्रवासी मजदूरों की इस टोली में 9 मध्यप्रदेश के थे।
लॉकडाउन-2 जानलेवा साबित हुआ
ये लोग पहले लॉकडाउन तक मुंबई में ही रुके रहे, लेकिन दूसरे की घोषणा के बाद इनकी मुश्किलें बढ़ गई थी। साहू के चचेरे भाई संजय ने कहा कि वह जानते थे कि अब उनके पास कपड़े के सिवा कुछ नहीं बचा है और न ही कोई विकल्प है। कल्याण पुलिस स्टेशन के एसआई कमलाकर मुंबई ने कहा कि 22 अप्रैल को 2:30 बजे ये लोग नेरुल से निकले थे। कुछ मजदूरों के पास मोबाइल फोन थे, जीपीएस के सहारे ये लोग आगे बढ़ रहे थे।
साथी बेहोश हुआ लेकिन कोई नहीं रुका, सब आगे बढ़ गए
पुलिस ने बताया कि सुबह 8 बजे के करीब ये लोग खदावली गांव पहुंचे, जहां ये लोग घंटों रुके रहे। शाम 5 बजे मोतीलाल साहू गिर गए। इसके बाद उनके साथियों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया। मोतीलाल के गिरने के बाद साथ चल रहे लोग आगे बढ़ बढ़ गए सिर्फ सुरेश साहू वहां रुके रहे, जो उनके पड़ोसी गांव से हैं।
24 घंटे से भूखे-प्यासे पैदल चल रहे थे
मोतीलाल साहू के चचेरे भाई संजय ने बताया कि 24 घंटे से खाना-पानी नहीं मिला था। ठाणे के करीब जंगल में पानी में दिखा। मेरे चचेरे भाई ने उसको पी लिया और बेहोश हो गए। अस्पताल ढूंढने में 3 घंटे लगे, तब तक उनकी मौत हो गई। मोतीलाल के चचेरे भाई ने कहा कि परिवार बहुत गरीब है, वह अकेले कमाने वाले थे।
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