भोपाल। सारे देश में बीमारी का सिर्फ एक ही नाम हो गया है और वह है 'कोरोना', हालात यह है कि किसी भी अन्य रूप से पीड़ित मरीजों का इलाज ही नहीं हो रहा है। मध्यप्रदेश कि ग्वालियर में स्थित जयारोग्य अस्पताल की सबसे ज्यादा शिकायतें आ रही है। यहां से भाग एक मरीज ने बताया कि उसे जबरदस्ती आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया था जबकि उसे कोरोनावायरस का संक्रमण नहीं है बल्कि ट्यूबरक्लोसिस है। टीवी का इलाज कराने गया था।
तमाशा: जैसे मरीज नहीं, अपराधी है
जयारोग्य अस्पताल के डॉक्टरों से बच कर भागा मरीज सीधा अपने घर जा पहुंचा। पुलिस को जैसे ही इसकी सूचना मिली पुलिस ने उसके घर की घेराबंदी कर डाली। बाहर से उसके घर पर ताला लगा दिया। इसके बाद मेडिकल टीम बुलाकर मरीज और उसके परिवार के 6 सदस्यों को एंबुलेंस से जिला अस्पताल ले जाया गया। यहां सैंपल लेने के बाद सभी को होम क्वारेंटाइन में भेज दिया गया। मरीज बृजेश रजक का कहना है कि मुझे टीबी की बीमारी है। तीन दिन ग्वालियर में भर्ती रहा लेकिन कोई इलाज नहीं मिला तो घर चला आया।
टीवी का इलाज कराने गया था, कोरोना के वार्ड में भर्ती कर दिया
छोटे भाई सोनू रजक ने बताया कि बड़े भाई बृजेश रजक को टीबी की बीमारी है। 31 मार्च को जिला अस्पताल दिखाने ले गए थे। डॉक्टर ने ग्वालियर जाने की सलाह दी। 7 अप्रैल को गजराराजा मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो डॉक्टरों ने बृजेश को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया गया लेकिन कोई भी इलाज करने नहीं आ रहा था। इसलिए परिचित की बाइक क्रमांक एमपी33 एमजे5711 से वापस शिवपुरी लौट आए।