टोटल लॉक डाउन के दौरान किसी नेता ने कर्मचारी को धमकी दी तो क्या होगा | NATIONAL NEWS

Bhopal Samachar
भारत में पॉलिटिकल इमरजेंसी लागू नहीं हुई है लेकिन पूरे देश को अनुशासित करने के लिए भारत के आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत पूरे देश को केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रण में ले लिया गया है। सभी जिलों के कलेक्टर/ डीएम/ एसपी सीधे केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार काम कर रहे हैं। राज्य सरकारों का संवैधानिक दायित्व है कि वह केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित कराएं। इसमें राज्य सरकारों के कर्मचारी सक्रिय भागीदारी निभाएं। भारत में एक कॉमन कल्चर है, हर गली मोहल्ले में मौजूद नेता कर्मचारियों को उनका कर्तव्य निभाने से रोकते हैं एवं धमकी देते हैं। लॉक डाउन के दौरान यदि कोई नेता या प्रभावशाली व्यक्ति किसी कर्मचारी को कर्तव्य निभाने से रोकता है वह धमकी देता है तो क्या होगा आइए जानते हैं।

भारत देश के नागरिकों को मृत्यु के कारक संक्रमण से बचाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने लॉक डाउन की घोषणा की है। यह पूरे देश में समान रूप से प्रभावशील है। कर्मचारी राज्य शासन का हो या फिर आउट सोर्स यदि उसकी ड्यूटी कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाई गई है तो वह कर्मचारी केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित हो जाता है। ऐसी स्थिति में उस कर्मचारी को यदि कर्तव्य निभाने से रोका जाता है या फिर धमकी दी जाती है तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 189 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।

क्या कहती है आईपीसी की धारा 189 

जो कोई लोक-सेवक को या किसी ऐसे व्यक्ति को जिससे उस लोक-सेवक के हितबद्ध होने का उसे विश्वास हो, इस प्रयोजन से क्षति की कोई धमकी देगा कि जिससे उस लोक-सेवक को उत्प्रेरित किया जाये कि वह ऐसे लोक-सेवक के कृत्यों के प्रयोग से संशक्त कोई कार्य करें या करने से प्रविरत रहे, या करने में विलम्ब करे, यह अपराध है।।
सजा(दण्ड):- इस अपराध में 2 वर्ष तक की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।।

धारा 189 की व्याख्या को हम इस प्रकार भी समझते सकते हैं

जो व्यक्ति किसी लोक-सेवक को इस आशय से कारित करने की धमकी देता हैं ताकि वह अपने सार्वजनिक कर्तव्य से सम्बंधित किसी कार्य को करे या करने से परावृत्त रहे या विलंब करें तो यह एक दण्डनीय अपराध होगा।
यह धारा लागू होने के लिए लोक-सेवक या किसी अन्य व्यक्ति को जिसमें लोक सेवक के हितबद्ध होने का अभियुक्त को विश्वास हो, क्षति कि धमकी दी गई होना चाहिए।याद रखें धारा 189 केवल लोक सेवक(सरकारी कर्मचारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों) को क्षति कारित की जाने की धमकी के मामले में ही लागू होंगी।

सरलता से समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उदहारण

डिक्रूज के मामले में मार्क्सवादी पार्टी के कुछ साम्यवादी कार्यकर्ता अपने साथियों की गिरफ्तारी के विरुद्ध विरोध प्रकट करने पुलिस स्टेशन पहुंचे तथा उन्होंने वहां कार्यरत पुलिस-कर्मियों को धमकी दी कि वे उनके साथियों को छोड़ दें अन्यथा उन्हें गभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस केस में न्यायालय ने सभी अभियुक्तों को 189 के अंतर्गत दोषसिद्ध किया गया।।

इसी प्रकार *यार मोहम्मद बनाम सम्राट* के वाद में दो पुलिस आरक्षकों ने रात के समय अपनी गश्त-डियूटी देतें हुए एक निगरानी शुदा अपराधी के घर के सामने खड़े होकर उसके नाम से पुकार कि ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि वह अपराधी घर पर है या नही।इस पर उस अपराधी का भाई जो कि बगल वाली झोपड़ी में ही रहता था, बाहर आया और उसने नींद में दखल देने के लिए पुलिस आरक्षक को लताड़ते हुए उन्हें मारने की धमकी दी।न्यायालय द्वारा अभियुक्त को भारतीय दण्ड संहिता कि धारा 189 के अधीन दोषी ठहराकर दण्डित किया गया। 
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र) मोब.9827737665

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