नई दिल्ली। लोगों की जान बचाने के नाम पर हाय तौबा मचाते प्रशासन के तरीके जानलेवा साबित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में 82 साल के एक बुजुर्ग को होम क्वॉरेंटाइन कर दिया जबकि वह घर में अकेला था। कुछ दिनों बाद आशा कार्यकर्ता और DO NOT VISIT का नोटिस चस्पा करके चली गई। अपने ही घर में कैद हो गए बुजुर्ग ने पता नहीं कब दम तोड़ दिया। पता तो तब चला जब लोगों को दुर्गंध आई। लाश पूरी तरह सड़ चुकी थी। जब दरवाजा तोड़कर देखा तो शव में कीड़े रेंग रहे थे।
घर में अकेला था बुजुर्ग फिर भी होम क्वारैंटाइन कर दिया
बुजुर्ग मार्च में गुजरात से अपने गांव बढ़नापुर लौटा था। इसके बाद 22 मार्च को प्रशासन ने उसे होम क्वारैंटाइन कर दिया था। फिर आशा कार्यकर्ता ने 4 अप्रैल को घर के बाहर दूसरा नोटिस चस्पा कर दिया। जिसमें लिखा था कि कोई भी इस घर में प्रवेश न करे। यह कोरोना संदिग्ध का घर है। इसके बाद प्रशासन की ओर से किसी ने उसकी सुध नहीं ली। बुजुर्ग व्यक्ति अपने घर में अकेला था। ऐसी स्थिति में उसे होम क्वॉरेंटाइन नहीं किया जाना चाहिए था बल्कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में ले जाना चाहिए था। यदि सेंटर उपलब्ध नहीं था तो फिर उसकी नियमित रूप से देख रखी जानी चाहिए थी। लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया।
22 मार्च के बाद 4 अप्रैल को गई थी: आशा वर्कर ने बताया
आशा वर्कर का कहना है कि 22 मार्च को क्वारैंटाइन किए जाने के वक्त वह बुजुर्ग के घर आई थी। उसके बाद 4 अप्रैल को नोटिस चस्पा करने आई थी। इस दौरान उन्हें किसी अनहोनी की भनक भी नहीं लगी।
काम में उलझा था, ध्यान नहीं दे पाया: ग्राम प्रधान के पति ने कहा
ग्राम प्रधान के पति महेन्द्र वर्मा ने कहा- मृतक अपने पोते के साथ गुजरात से गांव आया था, जो बाराबंकी शहर में रहता है। 1 अप्रैल को बुजुर्ग राशन और 4 अप्रैल को डॉक्टर से दवा भी लेकर आया था। वह अस्थमा का मरीज भी था। मौत कब हुई किसी को इसकी जानकारी नहीं है। वर्मा ने अपनी लापरवाही मानते हुए कहा कि मैं कई दिनों से दूसरे कामों में उलझा था, इसलिए बुजुर्ग पर ध्यान नहीं दे पाया।
CMHO की दर्द बढ़ाने वाली दलील
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमेश चन्द्रा ने कहा- शायद आशा वर्कर बुजुर्ग के घर के बाहर से लौटकर आ जाती होगी। कीड़े पड़ने के लक्षणों के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। बुजुर्ग में कोरोना के लक्षण नहीं थे, फिर भी हमने सैम्पल लेकर भेज दिया है। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाना संभव होगा। होम क्वारैंटाइन का अर्थ यह नहीं है कि हम रोज देखने जाएं। इसमें हमें सिर्फ इतना देखना होता है कि संदिग्ध 14 दिनों तक किसी से मिले न और घर से बाहर न निकले।
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