इंदौर। कोरोना संक्रमण के रोडजोन में फंसे इंदौर के फिलहाल इससे बाहर निकलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। शहर में हर रोज पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं, हालांकि पहले से अब इनका प्रतिशत कुछ कम हुआ है। लेकिन जिस दर से पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं उसके आधार पर इंदौर अगले दो हफ्तों तक तो रेड जोन में ही रहेगा। स्वास्थ्य विभाग का आकलन है कि मई में संक्रमित मरीजों के मिलने की संख्या शून्य होने की संभावना नहीं है। ऐसे में रेड से ऑरेंज और ऑरेंज से ग्रीन तक पहुंचने के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
एपेडेमोलॉजिस्ट डॉ अनिल सिंह के अनुसार पहले के सैंपल में 20 से 25 प्रतिशत तक पॉजिटिव मरीज सामने आते थे। अब यह 10 प्रतिशत तक सिमट गया है। वहीं ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। मौत का आंकड़ा भी कम हो रहा है। हालांकि अभी लगभग 2 सप्ताह तक रेड जोन में ही रहने का अनुमान है। जब 7 दिनों तक कोई भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिलेगा तभी इंदौर ऑरेंज जोन में शामिल हो पाएगा। वहीं, 21 दिनों तक किसी पॉजिटिव मरीज के नहीं मिलने पर इसे ग्रीन जोन में माना जाएगा। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इंदौर के लिए यह लक्ष्य हासिल कर पाना फिलहाल आसान नहीं है।
इंदौर में कोरोना संक्रमित मरीजों के मिलने का सिलसिला 24 मार्च से शुरू हुआ था। तब से यह लगातार जारी है। अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 1654 हो चुकी है। मार्च में संख्या नियंत्रित थी लेकिन अप्रैल के अंत तक मरीजों की संख्या में बेहताशा वृद्धि हो गई। इनमें अधिकांश वे मरीज थे जिनके परिवार के सदस्य पॉजिटिव पाए गए थे।
मई के शुरुआती हफ्ते में मरीजों के मिलने की संख्या में कमी जरुर आई है। मगर अब उन इलाकों में भी मरीज सामने आ रहे हैं, जहां पहले मरीज नहीं थे। स्वास्थ्य विभाग का आकलन है कि यदि ऐसी स्थिति रही तो मई में तो मरीजों की संख्या शून्य होने की उम्मीद नहीं है। अलग-अलग स्तरों पर हो रही सैंपलिंग शहर में 4 मई तक 9857 लोगों के सैंपल जांचे जा चुके हैं। इसमें एमवाय अस्पताल, सीएमएचओ ऑफिस और शहर के यलो व रेड जोन के अस्पतालों सहित क्वारंटाइन सेंटर और आइसोलेशन सेंटर से लिए सैंपल शामिल हैं। अलग-अलग स्तरों पर सैंपलिंग होने से ही इतने मरीज मिल सके हैं।
सैंपलिंग का यह क्रम लगातार जारी है। भर्ती 50 फीसदी मरीजों को दूसरी निगेटिव रिपोर्ट का इंतजार शहर के विभिन्ना अस्पतालों में भर्ती मरीजों के ठीक होने का सिलसिला जारी है। अब तक 468 मरीज ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। अस्पतालों में भर्ती 1107 मरीजों में से 50 प्रतिशत तक ऐसे हैं जिनकी पहली रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने और इसके बाद कुछ अन्य जांच किए जाने के बाद इन्हें भी डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।