लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 1600000 कर्मचारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नाराज हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों को दिए जाने वाले 6 तरह के वेतन भक्तों को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। इससे पहले सरकार ने महंगाई भत्ते को जून तक के लिए स्थगित कर दिया था। सरकार के इस कदम से 1600000 कर्मचारियों को 1500 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर नगर प्रतिकार, सचिवालय भत्ता, पीडब्लूडी के कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते, अवर अभियंताओं को मिलने वाले भत्तों को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। सरकार के इस फैसले से राज्य के कर्मचारियों में असंतोष का माहौल है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार ने कर्मचारियों के साथ धोखा किया। इन छह प्रकार के भत्तों को खत्म करने से सरकार को एक साल में तकरीबन 1500 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है।
बता दें कि नगर प्रतिकर भत्ता एक लाख तक या उससे अधिक आबादी वाले नगरों में तैनात सभी राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों को दिया जाता है। फिलहाल राज्य कर्मचारियों को नगरों की श्रेणियों के हिसाब से 250 से लेकर 900 रुपये प्रतिमाह तक नगर प्रतिकर भत्ता दिया जा रहा था।
वहीं, सचिवालय भत्ता सचिवालय में तैनात निचले स्तर से लेकर विशेष सचिव स्तर तक के कर्मचारियों को मिलता था, जिसकी अधिकतम सीमा 2500 रुपये थी। सचिवालय में तैनात कर्मियों के अलावा यह भत्ता राजस्व परिषद में अध्यक्ष और सदस्यों को छोड़कर शेष कार्मिकों और इलाहाबाद हाई कोर्ट में एडीशनल रजिस्ट्रार तक के सभी कार्मिकों को मिलता था।
इससे पहले पिछले महीने योगी सरकार ने महंगाई भत्ते पर रोक लगाने का फैसला लिया था। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को डीए नहीं मिलेगा। कर्मचारियों का 1 जनवरी 2020 से जून 2021 तक का महंगाई भत्ता बंद रहेगा।
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