दशकों पहले शादी विवाह के मामले में कभी-कभी वधू की उम्र और वर की शैक्षणिक योग्यता छुपा ली जाती थी परंतु पिछले 10 सालों में ऐसे मामलों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है जब कोई लड़की या लड़का किसी व्यक्ति विशेष से शादी करने के लिए अपनी जाति या धर्म छुपा लेता है। या फिर अपने आप को किसी अन्य व्यक्ति की संतान बताता है। आइए जानते हैं इस तरह के अपराधों में आईपीसी की किस धारा के अंतर्गत शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 416 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर कर बनाबटी रूप धारण करता है या प्रतिरूपण करता है। वह इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा। व्यक्ति के बनाबटी रूप के निम्न कृत्य हो सकते हैं:-
1. स्वयं को किसी और का वास्तविक बेटा बताकर उसको धोखा देना।
2. किसी दूसरे व्यक्ति के स्थान पर जानबूझकर कर परीक्षा में बैठना।
3. स्वंय की वास्तविक जाति, समाज, धर्म छुपा कर शादी या अन्य आपराधिक कार्य करना।
4. किसी को कुँवारा बता कर दोबारा किसी अन्य से शादी करना।
5. बेरुपिया बनकर छल करना आदि।
नोट:- हमारी भारतीय दण्ड संहिता में मिथ्या प्रतिरूपण के सम्बंध में कुल सात धाराएं हैं। जिनमें धारा 416 भी शामिल हैं।
आईपीसी की धारा 416 के तहत दण्ड का प्रावधान:-
धारा 416 के अपराध के दण्ड का प्रावधान भारतीय दण्ड संहिता की धारा 419 में है। यह अपराध एक संज्ञये एवं जमानतीय अपराध होते। इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा - तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
उधारानुसार वाद:- क्षितीशचंद्र चक्रवर्ती बनाम सम्राट- एक आरोपी जो अन्य जाति का था। एक लड़की की माता को यह बताया कि वह ब्राह्मण है। इस झूठ को सही समझकर महिला ने अपनी बेटी की शादी की सम्मति दे दी। उसे जब वास्तविकता का ज्ञान होता कि आरोपी निम्न जाति का है, तो वह महिला ऐसी सम्मति कभी नहीं देती। इस वाद में आरोपी को धारा 416 के अपराध का दोषी ठहराया गया।
बी. आर.अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737675