डॉक्टर यदि किसी साजिश के तहत महिला का गर्भपात करता है तो निश्चित रूप से वह भी भ्रूण हत्या का दोषी पाया जाता है परंतु यदि कोई ऐसा व्यक्ति जो डॉक्टर नहीं है, किसी गर्भवती महिला पर हमला करता है और इस हमले के कारण महिला के गर्भ में उपस्थित शिशु की मृत्यु हो जाए तब क्या होगा। यदि आप इस धारा के विषय में नहीं जानते तो संभव है अपराधी पक्ष की तरफ से आप को हतोत्साहित करने के लिए दलील दी जाए 'जिस बच्चे का जन्म ही नहीं हुआ उसकी हत्या कैसे हो सकती है।, यह केवल एक हादसा है जिसके लिए मुआवजा अदा किया जाना चाहिए।' हम आपको बताते हैं कि यह बिल्कुल उतना ही गंभीर अपराध है जितना की आईपीसी की धारा 302 के तहत सदोष मानव वध।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 316 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को जानबूझकर कोई आपराधिक आशय से ये जानते हुए कि महिला गर्भावस्था में है, एवं स्पन्दगर्भा (4-5 माह) में है, के साथ मारपीट करेगा जिससे महिला की मृत्यु न होकर गर्भ में पल रहे शिशु की मृत्यु हो जाए। वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध संज्ञये एवं अजमानतीय होते है, एवं इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय द्वारा की जाती हैं। सजा- इस धारा के अपराध में दस वर्ष की कारावास और जुर्माना हो सकता है। यह अपराध आपराधिक मानव वध की कोटि में आता है।
उधारानुसार वाद:- मुरुगन बनाम राज्य- आरोपी ने अपनी गर्भवती पत्नी, जिसके पेट में लगभग 20 सप्ताह का बच्चा था, इतने जोर से पीटा की उसकी मृत्यु हो गई। चिकित्सीय आधार पर यह माना गया है कि गर्भ-धारण के लगभग बारह सप्ताह बाद भ्रूण जीव में परिवर्तित हो जाता हैं। अतः आरोपी को धारा 316 के अंतर्गत सजीव गर्भस्थ शिशु को जन्म लेने से पहले मार डालने के अपराध का दोषी ठहराया गया।
बी. आर.अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665