आपने अक्सर देखा होगा, शहर की नालियों में, गंदे नालों में या फिर डस्टबिन में नवजात शिशुओं के शव पड़े मिलते हैं। कई बार यह किसी की अवैध संतान होते हैं इसलिए फेंक दिए जाते हैं और कई बार अस्पताल में विधिवत प्रसव के दौरान मृत शिशु पैदा होता है तो उसे भी इसी तरह फेंक दिया जाता है। आइए जानते हैं किसी भी परिस्थिति में यदि नवजात शिशु के शव को गुप्त रूप से नष्ट किया गया तो वह आईपीसी की किस धारा के तहत अपराध माना जाएगा और उसके लिए कितनी सजा निर्धारित की गई है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 318 की परिभाषा:-
किसी व्यक्ति द्वारा धारा 318 के अपराध के लिए निम्न बातों को होना आवश्यक है:-
1. किसी बच्चे के शव को गुप्त रूप से गाड कर या अन्य प्रकार से नष्ट करके ठिकाने लगा दिया गया हो।
2. यह महत्वपूर्ण नहीं है कि शिशु की मृत्यु जन्म के पूर्व, पश्चात या जन्म के समय हुई थी, अर्थात वह कभी भी क्यों न हुई हो, यदि शव को गुप्त रूप से नष्ट किया गया है।
3. शिशु के मृत शरीर को गुप्त रूप से ठिकाने लगाने का उद्देश्य उसके जन्म को छीपाना होना चाहिये।
सरल शब्दों में कहे तो इस धारा के अंतर्गत ऐसे माता-पिता आते हैं, जो या तो बेटे की चाहत में बेटी को जन्म देते हैं। और गुप्त रूप से बेटी की हत्या कर देते है या वो लोग जिनके जारता(अवैध) संबंध होते हैं। जारज(नाजायज) शिशु को गुप्त रूप से ठिकाने लगाना या आपने बच्चे की जानकारी छुपा कर उन्हें मार देना आदि। ऐसे शिशु की हत्या के अपराध को रोकना इस धारा का मुख्य उद्देश्य है।
धारा 318 के तहत दण्ड का प्रावधान:-
इस तरह के अपराध समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध संज्ञये एवं जमानतीय होते है। इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय द्वारा की जाती है। सजा- दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
बी. आर.अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665