बच्चों की चोरी को रोकने के लिए बनाए गए कानून के बारे में लोगों को जागरूक होना बहुत जरूरी है। मॉब लिंचिंग के मामलों में एक कारण बच्चा चोरी भी होता है। भीड़ बच्चा चोर को घेर लेती है और इतनी बेरहमी से उसकी पिटाई की जाती है कि उसकी मृत्यु हो जाती है। यदि जनता को यह पता चले कि रुपए, गहने और सामान की चोरी एवं बच्चों की चोरी दो अलग-अलग तरह के अपराध है और कार चुराने वाले की सजा भले ही कम हो जाए परंतु बच्चों की चोरी करने वाले को आजीवन कारावास ही मिलता है तो शायद लोग बच्चा चोर को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देंगे।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 310 की परिभाषा:-
जो कोई व्यक्ति या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर निम्न कृत्य करेंगे :-
1. किसी भी यात्रियों के साथ रास्ते में हत्या कर के लूटपाट करेगा।
2.घरों में घुसकर हत्या द्वारा लूटपाट करना।
3.बच्चो की चोरी करना आदि।
उपर्युक्त ठगी भारतीय दण्ड संहिता की धारा 310 , में अंतर्गत अपराध है।
नोट:- सभी लुटेरे या डाकू को ठग नहीं कह सकते हैं। इस धारा के अंतर्गत वे लुटेरे या डाकू ठग होते हैं जिनमें ये आवश्यक तत्व हो-: पीड़ित व्यक्ति को क्षतिग्रस्त करने के साथ उसकी हत्या भी की गई हो।
आईपीसी की धारा 310 के तहत दण्ड का प्रावधान:-
आईपीसी की धारा 310 के अपराधों की सजा का प्रावधान धारा 311 में दिया गया है। उपर्युक्त धारा के सभी अपराध संज्ञये (गम्भीर) अपराध की श्रेणी में आते हैं। यह अपराध अजमानतीय होते हैं। इन अपराध की सुनवाई सेशन न्यायालय में होती हैं।
सजा:- ठग अपराध के लिए सजा आजीवन कारावास और जुर्माने से दण्डिनीय होगी।
उधारानुसार:- अगर जंगल के रास्ते से कोई यात्रियों की बस जा रही हैं, और कुछ लोग मिलकर उसे रोकते हैं और सामान्य लूटपाट कर के चले जाते हैं वह अपराध इस धारा के अंतर्गत नहीं आता है। अगर वह लुटेरे लूट के दौरान कुछ व्यक्तियोँ की हत्या कर देते हैं कुछ को क्षतिग्रस्त कर देते हैं, तब वह अपराध इस धारा के अंतर्गत आएगा।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665