अक्सर हम देखते हैं शादी विवाह या कोई उत्सव समारोह में आज कल फटाके, रस्सी बम, फुलझरिया आदि। का प्रयोग बहुत किया जाता है। पर इन अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ या कुछ विस्फोटक पदार्थ का प्रयोग, इन समारोह में लापरवाही बरतते हुए किया जाता हैं। जहाँ पर जन-जीवन या जन साधारण को क्षति या नुकसान होने की संभावना हो तो यह एक अपराध की श्रेणी में आता है। हम आज इन अपराध से संबंधित दो धाराओं के बारे में जानकारी देंगे।
1.भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 285 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति लापरवाही बरतते हुए जानबूझकर किसी ऐसे स्थान पर जलवंशील पदार्थ का प्रयोग करेगा। जिससे जन साधारण या जन जीवन संकट में होने की संभावना मात्र हो या हो गई हो। तब वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
2.भारतीय दण्ड संहिता की धारा 286 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति लापरवाही बरतते हुए जानबूझकर किसी ऐसे स्थान पर विस्फोटक पदार्थ का प्रयोग करेगा जिससे मानव-जीवन में संकट उत्पन्न,क्षति,चोट आदि हो या होने की संभावना हो। तब वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी पाया जाएगा।
आईपीसी की धारा धारा 285 एवं 286 के तहत दण्ड का प्रावधान
धारा 285 एवं 286 के अपराध किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं होते हैं। दोनो धारा के अपराध संज्ञये एवं जमानतीय होते है। इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
सजा- धारा 285 एवं 286 के अपराध में 6-6 माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
उधारानुसार वाद:- कुर्बान हुसैन मोहम्मद रंगवाला बनाम महाराष्ट्र राज्य- आरोपी ज्वलनशील पदार्थ से संबंधित कारखाने का लायसेंसधारी था। उसने एक कमरे में जहां तारपिन का तेल तथा वारनिश के पीपे रखे हुए थे, उसके 8- 10 फिट दूर कोई पदार्थ पिघलाने के लिए चार बर्नर जला रखे थे। जब आरोपी उस पिघले हुए पदार्थ में तारपीन का तेल उड़ेल रहा था, तेल में अचानक आग लग गई जिसके कारण फैक्ट्री जल गई और सात व्यक्तियो की मृत्यु हो गई।न्यायालय द्वारा विनिशिचत किया कि आरोपी द्वारा इन ज्वलनशील वस्तुओं का संग्रह तथा रख-रखाव लाइसेंस की शर्तें के उल्लंघन में होने के कारण वह धारा 285 का दोषी होगा।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665