यदि कोई अपराधी या अपराधियों का गिरोह आप को गन प्वाइंट पर लेकर या फिर आपके बच्चे को किडनैप करके आपसे कोई घोटाला, चोरी या दूसरा अपराध करवा दे तो ऐसी स्थिति में अपराध के लिए किस व्यक्ति को दोषी माना जाएगा। क्या भारतीय दंड संहिता में ऐसा कोई प्रावधान है जो इन परिस्थितियों में फंसे पीड़ित व्यक्ति की रक्षा करते हो। आइए जानने की कोशिश करते हैं:-
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा ,94 की परिभाषा
अगर किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी देकर या कोई भय दिखाकर उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई अपराध उससे कराया जाता है और वह अपराध हो जाता है तो धारा 94 के अंतर्गत क्षमा योग्य होगा।
अपराध करने की धमकी कब दी गई हो:-
इसमे तत्काल ही मृत्यु का भय या अन्य भय की धमकी दी गई हो। अगर भविष्य को लेकर धमकी दी गई है, उस अपराध का इस धारा के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त नहीं होगा।
निम्न दो अपराध पर इस धारा में संरक्षण नहीं होगा (क्षमा योग्य नहीं है):-
1. धमकी द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या कराने पर।
2. राज्य के विरुद्ध मृत्युदण्ड से दण्डिनीय कोई अपराध करने के लिए विवश किया जाना।
उधारानुसार:- यदि कोई व्यक्ति लूट-पाट में हिस्सा लेने की नियत से डाकुओं के गिरोह में शामिल हो जाता हैं और डाकू उसे बंदूक दिखाकर किसी सेठ के यहाँ लूटने के लिए भेजता है तो वह व्यक्ति यहाँ लूट का दोषी होगा। क्योंकि वह व्यक्ति अपनी इच्छा से डाकुओं की गैंग में शामिल होने गया था परन्तु अगर ऐसा होता कि डाकू उस व्यक्ति उठाकर ले जाते और उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे बंदूक दिखाकर या मारने की धमकी दे कर सेठ के घर का दरवाजा खुलवाने के लिए बाध्य करते हैं या फिर सेठ को बहाने से घर से बाहर निकालने के लिए बाध्य करते हैं तो तो वह व्यक्ति को धारा 94 के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त होता।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665