यह धारा हमारे लेख की कल की धारा 295 का विस्तृत रूप कह सकते हैं। कल के लेख में हमने किसी पवित्र स्थान को नुकसान या अपवित्र करने पर किस प्रकार के दण्ड का प्रावधान है इसके बारे में बताया था। आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि किसी समाधि स्थल, उपासना स्थल, कब्रिस्तान, मकबरा, शमशान घाट, शव आदि पर बुरे कार्य या नुकसान पहुंचाने पर किस धारा के अंतर्गत अपराध सिद्ध होता है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 297 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसा कार्य करेगा-
1. किसी भी समाधि स्थल, उपासना स्थल, कब्रिस्तान, मकबरा, श्मशान घाट आदि को नुकसान करना या क्षति पहुचाना।
2. किसी भी शव की अवहेलना करना या शव का अपमान करना।
3. श्मशान घाट जा रही कोई शव यात्रा में विघ्न डालना या कोइ बाधा पहुचाना।
4. मृतक व्यक्ति के शरीर से बिना घर वाले कि सूचना के गुर्दा निकालना।
नोट:-मृतक शव का पोस्टमार्टम करना इस धारा के अंतर्गत दण्डिनीय अपराध नहीं है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 297 के अनुसार दण्ड का प्रावधान
इस तरह के अपराध समझौता योग्य नहीं होते है,एवं यह अपराध संज्ञये अपराध की श्रेणी में आते हैं।परंतु यह अपराध जमानतीय होते हैं एवं कोई भी मजिस्ट्रेट इन पर कार्यवाही कर सकते हैं। सजा:- इस अपराध में एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता हैं।
उधारानुसार:- अगर सर्जरी इलाज के दौरान किसी रोगी की मृत्यु हो जाती हैं। तथा डॉक्टर मृतक की पत्नी या कोई वारिस को जानकारी दिये बिना मृतक के शरीर से गुर्दा(लिवर) निकल कर उसे अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोपण(दूसरे व्यक्ति के शरीर में भेजना) के लिए दे देता है, यहां पर पत्नी या वारिस की शिकायत पर डॉक्टर के विरुद्ध धारा 297 के अंतर्गत अपराध किया जाना सही एवं न्यायोचित होगा।
बी. आर अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665