डॉ दीपक कोहली। 'अश्वगंधा' (वैज्ञानिक नाम- विथानिया सोमनीफेरा) एक औषधीय जड़ी बूटी है, जिसे प्रतिरक्षा बढ़ाने हेतु उपयोग में लाया जाता है। अश्वगंधा आम तौर पर एक चूर्ण के रूप में भी उपलब्ध होता है। जिसे जल, घी या शहद के साथ मिश्रित किया जाता है। यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के कार्य में बढ़ोतरी करने के साथ ही याददाश्त में भी सुधार करता है। यह आयुर्वेद में सबसे महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों में से एक है। आयुर्वेदिक, यूनानी और भारतीय दवाओं में, अश्वगंध को 'भारतीय जीन्सेंग' के नाम से भी जाना जाता है। अश्वगंध का उपयोग तनाव में सुधार के लिए लगभग 3,000 से अधिक वर्षों से किया जाता रहा है। अश्वगंधा कई रूपों में उपलब्ध है, जैसे – कैप्सूल, टेबलेट, पाउडर, आदि। इसका उपयोग सभी प्रकार के दर्द और तनाव से लड़ने में किया जाता है।
अनुसंधानकर्ताओं द्वारा नवीनतम अनुसंधान में यह पाया है कि अश्वगंधा कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ उपचारात्मक और इसकी रोकथाम करने वाली एक प्रभावी औषधि हो सकती है। आईआईटी, दिल्ली और जापान के एक प्रौद्योगिकी संस्थान के अनुसंधान में यह पाया गया है। अनुसंधान दल के मुताबिक, अश्वगंधा और 'प्रोपोलीस (मधुमक्खी के छत्ते के अंदर पाया जाने वाला मोमी गोंद) के प्राकृतिक यौगिक में कोरोना वायरस की रोकथाम करने वाली औषधि बनने की क्षमता है। प्रोपोलिस एक प्राकृतिक राल का मिश्रण है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों या कलियों से एकत्रित किये गए पदार्थों से उत्पादित होता है। मधुमक्खियाँ मुख्य रूप से चिनार से प्रोपोलिस एकत्रित करती हैं। मधुमक्खियाँ अपने छत्ते के निर्माण और मरम्मत में भी प्रोपोलिस का उपयोग करती हैं। आईआईटी, दिल्ली और जापान के एक प्रौद्योगिकी संस्थान के शोधकर्त्ताओं ने अश्वगंधा और प्रोपोलिस आधारित यौगिकों का उपयोग के कोविड-19 एंजाइम को लक्षित करने के लिये किया है, जिसे ‘मेन प्रोटीज़’ या ‘एम्प्रो’ के रूप में जाना जाता है। वायरस के प्रतिलिपि निर्माण में ‘मेन प्रोटीज़’ या ‘एम्प्रो’ एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, ‘विथानोन’ और ‘कैफ्फेसिक एसिड फेनेथाइल एस्टर’ एम्प्रो की पुनरावृत्ति को रोकने में सक्षम है।‘विथानोन’ अश्वगंधा से प्राप्त एक प्राकृतिक यौगिक है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली और जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (एआईएसटी) ने अपने संयुक्त अनुसंधान के बाद दावा किया कि अश्वगंधा और प्रोपोलिस का प्राकृतिक यौगिक कोरोना महामारी की प्रभावी दवा हो सकता है। शोध के अनुसंधान दल ने बताया है कि प्राकृतिक जड़ी बूटी अश्वगंधा और मुधमक्खी के छत्ते के अंदर पाया जाने वाला मोमी गोंद अर्थात प्रोपोलिस के प्राकृतिक यौगिकों में कोविड -19 पर काबू पाने वाली प्रभावी दवा होने की संभावना है। शोधकर्ताओं ने प्रोटीन को विभाजित करने के लिए मुख्य सार्स-कोवी-2 के एंजाइम को निशाना बनाया, जिसे मुख्य प्रोटीज़ या एमप्रो के रूप में जाना जाता है जो वायरस की प्रतिकृति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुसंधान के नतीजे न सिर्फ कोविड-19 रोधी औषधियों के परीक्षण के लिये जरूरी समय और लागत को बचा सकते हैं, बल्कि वे कोरोना वायरस महामारी के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
टीम ने वर्णन किया कि उन्होंने मानव कोशिकाओं की सतह पर प्रोटीन को मॉडिफाई करने के लिए इन बायोएक्टिव्स की क्षमता की खोज की है, जिसमें सार्स-कोवी-2 बांधता है और हमारे सेल में इसके प्रवेश की अनुमति देता है - ट्रांसमेम्ब्रेनर प्रोटीज सीरियस 2 और विथानोन का चयन किया। अध्ययन वर्तमान में समीक्षाधीन है और निकट भविष्य में प्रकाशित होने की उम्मीद है।टीम ने कहा कि उनके निष्कर्ष न केवल एंटी-कोविड-19 दवाओं की जांच के लिए आवश्यक समय और लागत को बचाने के लिए कनेक्ट हो सकते हैं, बल्कि घातक कोविड-19 महामारी के प्रबंधन के लिए कुछ निवारक और चिकित्सीय पेशकश भी कर सकते हैं।
अश्वगंधा ने कोरोना की दवा के रूप में जो उम्मीदें जगाई हैं, उस औषधि के बारे में जानकर आपको काफ़ी राहत मिलेगी। क्योंकि, अश्वगंधा वो दवा है, जो कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी में भी असरदार है। कई रिसर्च में ये बताया गया है कि अश्वगंधा कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है और कैंसर के नए सेल्स नहीं बनने देता। ये शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पिशीज़ का निर्माण करता है। यानी ऐसे सेल जो कैंसर सेल्स को ख़त्म करते हैं और कीमोथेरपी के साइड इफेक्ट्स से भी बचाते हैं। अश्वगंधा में मौजूद तत्व काफ़ी असरदार और संगठित तरीके से काम करते हैं।
कैसे शरीर में काम करता है अश्वगंधा
कोविड-19 के एंज़ाइम में प्रोटीन मौजूद होता है ।वायरस के प्रोटीन को अश्वगंधा से टारगेट किया।वायरस को फैलाने में एमप्रो का बड़ा हाथ होता है।एमप्रो के ज़रिए वायरस अपनी संख्या दोगुनी-चौगुनी करता है।मानव शरीर में एमप्रो एंज़ाइम नहीं होता है। इसलिए शरीर एमप्रो एंज़ाइम के हमले को नहीं समझ पाता। अश्वगंधा और प्रोपोलीस मिलकर एक ख़ास रसायन बनाते हैं। ये रसायन वायरस के एम्प्रो एंज़ाइम का रास्ता ब्लॉक कर देते हैं। रास्ता ब्लॉक होते ही वायरस एक ही दायरे में सिमट जाता है। कुछ देर में प्रतिरोधक क्षमता वाले सेल वायरस तक पहुंच जाते हैं। सीमित संख्या वाले वायरस को हमारा शरीर घरेकर ख़त्म कर देता है।
अश्वगंधा के औषधीय गुण
कहने को तो अश्वगंधा एक पौधा है, लेकिन प्राचीन काल से इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अश्वगंधा को प्राचीन काल से ही काफ़ी अहम औषधि माना जाता है। औषधीय गुण की बात करें तो कई रोगों को दूर करने में इसका उपयोग किया जाता है -
1. डिप्रेशन और तनाव को शांत करने में :
एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अश्वगंधा की खुराक लेते थे, उनमें कोर्टिसोल) के स्तर में कमी दर्ज़ की गयी। कोर्टिसोल को तनाव हार्मोन के रूप में जाना जाता है, जो तनाव के लिए उत्तरदायी हार्मोन है। एक और छोटे अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा के सेवन से 88% लोगों में चिंता कम लक्षण देखे गए। यह अवसाद कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. एंटी-कैंसर के रूप में :
अश्वगंधा कैंसर से लड़ने में भी काफी मदगार है। एक अध्ययन के अनुसार, अश्वगंधा कुछ कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम है। यह कई तरीकों से नए कैंसर सैल्स के विकास में भी बाधा डालता है। यह सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ाकर केमोथेरेपी से गुजर रहे मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। पशुओं पर किये गए एक अध्ययन से पता चलता है कि यह फेफड़े , स्तन , मस्तिष्क , कोलन और डिम्बग्रंथि के कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर का इलाज करने में मदद कर सकता है।
3. सूजन को कम करने में :
पशुओं पर हुए अध्ययनों से पता चलता है कि अश्वगंधा सूजन को कम करने में भी मदद करता है।
4. प्रजनन क्षमता बढ़ाने में :
अश्वगंधा टेस्टोस्टेरोन स्तर और प्रजनन क्षमता बढ़ाने में बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है। यह शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता बढ़ाने में आपकी मदद करता है। रिसर्च में देखा गया कि इसके सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और खून में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर भी बढ़ा पाया गया।
5. बालों को सफेद होने से रोकने में :
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि अश्वगंधा पाउडर की दैनिक खुराक लेने से बालों के सफेद होने में कुछ कमी दर्ज की गयी। इसलिए अगर आपके बाल असमय सफेद हो रहे हैं, तो आप अश्वगंधा का सेवन शुरू कर सकते हैं।
6. ब्लड शुगर को कम करने में :
कई अध्ययनों में पाया गया कि अश्वगंधा ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में सहायक है। इसके अलावा, कई मानव अध्ययनों ने स्वस्थ और मधुमेह दोनों तरह के लोगों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने की क्षमता की पुष्टि की है। अश्वगंधा टाइप 2 मधुमेह वाले रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद है।
7. घुटनों के दर्द और गठिया में :
अश्वगंधा संयुक्त दर्द और गठिया से जुड़ी सूजन को शांत करने में आपकी काफी मदद कर सकता है।
9. वजन और ताकत बढ़ाने में :
एक अध्ययन के मुताबिक, अश्वगंध की खुराक आपके शरीर की संरचना में सुधार कर सकती है और आपकी ताकत भी बढ़ा सकती है। यदि आप वजन बढ़ाना चाहते हैं तो अश्वगंधा का सेवन काफी फायदेमंद है और यह आपकी मसल्स को शक्ति प्रदान करने में भी मदद करता है।
10 मस्तिष्क के कार्य संचालन में :
अश्वगंधा आपकी याददाश्त और आपके मस्तिष्क के लिए बहुत अच्छा है। यह चोट या किसी बीमारी के कारण आई मेमोरी या मस्तिष्क की कई समस्याओं को कम करने में सक्षम है।
स्किन से लेकर पुराने ज़ख़्मों तक अश्वगंधा का बड़ा असर देखा गया है। इसकी सबसे बड़ी ख़ूबी ये है कि जड़ से लेकर पत्तियों तक इसका पूरा पौधा अलग-अलग रोगों में काम आता है। अश्वगंधा के बीज, फल, छाल सभी का उपचार में प्रयोग होता है। अश्वगंधा की कच्ची जड़ से अश्व जैसी गंध आती है इसीलिए इसे ‘अश्वगंधा’ या ‘वाजिगंधा’ कहा जाता है। इसका सेवन करने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। सूख जाने पर अश्वगंधा की गंध कम हो जाती है। ये एमपी, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और हिमाचल में पाई जाती है। 5,000 फीट की ऊंचाई तक अश्वगंधा के पौधे मिलते हैं। अश्वगंधा की छाल से लेकर फूल तक और जड़ से लेकर बीज तक कई तरह के रसायन होते हैं। एक ही पौधे का हिस्सा होने के बावजूद ये सभी रसायन अलग-अलग तरह से काम करते हैं। अश्वगंधा का असर शरीर के पूरे नर्वस सिस्टम पर ते़ज़ी से असर करता है। ये एक तरह से शरीर का पूरी तरह शोधन करता है, यानी पूरे शरीर में जहां जैसी भी दुर्बलता है, उसे दूर करता है। नाड़ी रोगों में अश्वगंधा को अमृत जैसी दवा माना जाता है।
अश्वगंधा में मौजूद ऑक्सीडेंट इम्युन सिस्टम मज़बूत करते हैं। इससे सर्दी-ज़ुकाम और खांसी जैसी बीमारियां ना के बराबर होती हैं। अश्वगंधा वाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स दोनों बढ़ाता है। जो कई गंभीर शारीरिक समस्याओं में लाभदायक है। अश्वगंधा के इस्तेमाल से मानसिक तनाव 70% कम हो सकता है।शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाने में अश्वगंधा असरदार है अश्वगंधा को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए अश्वगंधा भले ही गुणकारी है, लेकिन दवा डॉक्टर से पूछ कर लें । हर दवा शरीर के हिसाब से फ़ायदा या नुकसान करती है। अश्वगंधा के कई फ़ायदे हैं, लेकिन कुछ नुकसान भी होते हैं। अश्वगंधा ने अब तक मानव इतिहास में कई तरह के मेडिकल चमत्कार किए हैं। लेकिन, अब इसे लेकर सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि ये कोविड-19 वायरस को ख़त्म कर सके। अगर ऐसा हुआ तो अश्वगंधा को कलियुग का अमृत माना जाएगा।
लेखक डॉ दीपक कोहली, उत्तर प्रदेश शासन में उपसचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के पद पर कार्यरत हैं।