हम बात कर रहे हैं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की जो विश्व की सबसे बड़ी दण्ड संहिता है जो अंग्रेजी शासन द्वारा लागू की गई थी। 6 अक्टूबर 1860 में विधान मंडल ने पारित कर दिया और यह भारतीय दण्ड संहिता के रूप में 1 जनवरी 1862 से समस्त भारत में लागू की गई। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस समय इस संहिता को बनाया गया था तब ही आज के समय मे घटित होने वाले छोटे छोटे अपराध के बारे में दण्ड का प्रावधान कर दिया था। जो कानून आज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 280 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति आपने उतावलेपन या लापरवाही से जल्दबाजी में आकर जल परिवहन या जलयान से जल या नदी में (नदी से अर्थ देश के अंदर बहाने वाली समस्त नदियां) में निम्न कृत्य करेगा:-
1.किसी भी नदी में इस तरह से नाविक या अन्य व्यक्ति द्वारा नाव या जलयान को इस तरह से चलाएगा जिससे नदी में नहाने वाले व्यक्ति को या मानव जीवन को संकट उत्पन्न हो। एवं क्षति या चोट लगने की संभावना हो या परेशानी हो।
2. इस धारा के प्रावधान केवल अंतर्देशीय (देश के अंदर) जल परिवहन के प्रति लागू होते हैं।
आईपीसी की धारा 280 के तहत दण्ड का प्रावधान
इस तरह के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते है। ये अपराध संज्ञये एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इन अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती हैं। सजा:- छः माह की कारावास या एक हजार का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बी.आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665