दुष्काल : आगे की राह परिवार के साथ ही सरल है / EDITORIAL by Rakesh Dubey

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लॉक डाउन -4 में हर घर चिन्तन शिविर बन गया है 6 माह पूर्व गृहस्थी बनाने वाले दम्पति हो या पांच दशक से साथ निभाते आ रहे जोड़े, सबकी पहली चिंता यह है आगे के दिन कैसे कटेंगें ? ठेठ भारत के सोच और पश्चिम के सोच का भारत पर प्रभाव इस बात की दुविधा को और बढा रहा है दुष्काल घोषणा के पहले जो लोग कारोबार कर रहे थे, उन्हें कारोबार को दोबारा जमाने की चिंता है। जो नौकरी में लगे थे, उन्हें नौकरी बचाने, तनख्वाह कटने या उसके न बढ़ने की चिंता है, जिनको किराया, कर्ज की किस्तें या कोई और भुगतान करना है, उनकी चिंता आगामी आपूर्ति को लेकर है। घर का खर्च, बच्चों के स्कूल की फीस, तरह-तरह के बिल और कहीं कोई मुसीबत आ पड़ी, तो ये सारी चिंताएं आज घरों में चिन्तन के विषय बन गये हैं सबसे ज्यादा झटका उन्हें लगा है, जो दुष्काल के पूर्व की अपनी योजनाओं को अंतिम सत्य मान चुके थे

आज सबकी सबसे पहली चिंता यही है कि खुद को और अपने प्रियजनों को इस बीमारी से बचाकर रखते हुए जिंदगी कैसे चलाई जाए? जिंदगी चलाने का सवाल आते ही दूसरी चिंता शुरू हो जाती है, और वह यह कि अब कमाने, बचाने हिसाब कैसे बैठेगा ? आगे का वक्त कैसे कटेगा, तो यह सही समय है हिसाब लगाने का कि आप कितने पानी में हैं। अब सब बात लिखित में होगी | सारे खर्चे लिखिए और सबसे जरूरी बात, इस काम में पूरे परिवार को शामिल कीजिए। पत्नी, पति, बच्चे और अगर आपके माता-पिता साथ रहते हैं, तो उन्हें भी। पूरे घर को यह पता होना जरूरी है कि आपकी जरूरतें क्या हैं और उन्हें पूरा करने का इंतजाम क्या है

अनिश्चितता के कारण यह हिसाब ही नहीं लगा लें बल्कि परिवार को भी बता दें कि आपके पास कुल कितनी बचत, कितनी संपत्ति है और अगर कहीं से आपको नियमित पैसा आता है, तो वह कितना है। इसमें आपको क्या-क्या जोड़ना है? आपके घर पर और बैंक-पोस्टल बचत खाते में रखा पैसा। किसी बीमा पॉलिसी की मैच्योरिटी से मिलने वाला पैसा। फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड में लगा पैसा। शेयर बाजार में लगा पैसा। किसी को उधार दिया हुआ पैसा। प्रॉविडेंट फंड, पीपीएफ या नेशनल पेंशन स्कीम या किसी अन्य रिटायरमेंट इनकम स्कीम में लगा हुआ पैसा और इससे जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज कहाँ है ? फिर आपके पास मकान, जमीन या दूसरी जायदाद हैं, उनकी सूची भी परिवार को सौंप दे

इसके बाद आपको हिसाब लगाना है कि कुल खर्च कितना है और आपके पास उसे पूरा करने का इंतजाम क्या शेष बचा है, इसके तीन तरह के नतीजे निकल सकते हैं। या तो आप पाएंगे कि आपके पास अपनी बचत, पीएफ, पेंशन और संपत्ति या निवेश से आने वाली रकम मिलाकर महीने का खर्च भी पूरा हो जाएगा और ऊपर से बचत भी होगी। यदि ऐसा है, तो आप फिलहाल चैन की सास लें। दूसरी स्थिति यह हो सकती है, आप पाएं कि खर्च और आमदनी का तराजू करीब-करीब संतुलित है, कभी इधर कभी उधर की स्थिति है, यानी गुजारा तो हो जाएगा, लेकिन थोड़ी समझदारी से खर्च करें । तीसरी स्थिति सबसे चिंताजनक स्थिति तब बनेगी जब यह कि हमें पता चले कि सब कुछ जोड़ने के बाद भी उतने पैसे का इंतजाम नहीं हो पाएगा, जितना हम हर महीने खर्च करते रहे हैं। यह स्थिति ज्यादातर लोगों के साथ होगी |लॉक डाउन के बाद खुलने वाला बाज़ार महंगा होगा। वैश्विक रूप से अर्थ शास्त्री कह रहे हैं, आमदनी और घरेलु खर्च के बीच संतुलन बैठना मुश्किल होगा

कही कहीं ऐसी विकट स्थिति भी आ सकती है खर्च भर के पैसे भी पूरे न हों। ऐसे में परिवार में सबसे पहले सब साथ बैठकर हिसाब लगाना जरूरी है कि कौन-कौन से खर्च तुरंत कम किए जाएं और क्या हममें से कोई या सभी लोग किसी तरह धनार्जन कर सकते हैं। जमा-पूंजी दांव पर लगाने वाली स्कीमें भी आएँगी ऐसी किसी भी स्कीम से दूर रहें। कमाई बढ़ाने का रास्ता है परिवार में हर सक्षम सदस्य अपनी योग्यता के अनुसार ऐसे काम खोजे और करे, जिससे आय हो। यह भी सब मिलकर सब मिलकर सोचिए।इसके कारण आपकी दिनचर्या में कुछ गतिविधि जुड़ सकती या कम हो सकती है 

बैंक में एफडी पर इंटरेस्ट रेट घट रहा है। प्रॉपर्टी के दाम बढ़ने का सपना भी देखना मुश्किल है। “जो है उसी में सपरिवार खुश रहने और परिवार में सब कुछ बताने का समय आ गया है, यही इस दुष्काल की एक बड़ी सीख है 
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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