नई दिल्ली। कई देश भारत से अपने नागरिक अपने देश ले जा चुके हैं और कई देश अपने नागरिकों के ले जाने के जतन कर रहे हैं। इसके विपरीत भारत अपने फंसे हुए नागरिकों को वापिस लाने के फैसले, मापदंड चुन-चुन कर ले रहा है। खाड़ी देशों के बारे में उसकी नीति कुछ और है और यूरोपीय देशों के बारे में कुछ और इसके विपरीत यूरोपीय देश भारत से अपने नागरिकों को सुरक्षित ले जाने के प्रयासों में लगे हैं। भारत सरकार की इस चुनिन्दा नीति और अपने नागरिकों की उपेक्षा का मामला आस्ट्रेलिया से सामने आया है। आस्ट्रेलिया में लॉक डाउन से पहले अपने कार्यालयीन कार्य से गये लोग, अपने बच्चों से मिलने गये वृद्ध, वहां पढने गये छात्र और वहां नौकरी की तलाश मे गये भारतीय अच्छी स्थिति में नहीं है। भारतीय उच्चायुक्त आस्ट्रेलिया से लेकर भारत में लगभग हर स्तर पर सम्पर्क कर चुके 1000 से अधिक नागरिक भारत सरकार की चुनिन्दा नीति पर सवाल खड़े करने लगे थे।
अब भारत सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीयों को चरणबद्ध तरीके से वापिस भारत लाने के लिए सुविधा प्रदान करने की अनुमति दी है। यात्रा की व्यवस्था हवाई जहाज़ व नौ-सेना के जहाज़ों द्वारा की जाएगी। इस संबंध में मानक संचालन प्रोटोकॉल तैयार की गई है।विदेश मंत्रालय के दूतावास और उच्चायोग ऐसे व्यथित भारतीय नागरिकों की सूची तैयार कर रहे हैं। इस सुविधा के लिए यात्रियों को भुगतान देना होगा। हवाई यात्रा के लिए गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों का इंतज़ाम होगा। यह यात्राएँ 7 मई से चरण-बद्ध तरीके से प्रारम्भ होंगी।
उड़ान भरने से पहले यात्रियों की मेडिकल स्क्रीनिंग की जाएगी। केवल असिम्प्टोमैटिक यात्रियों को ही यात्रा की अनुमति होगी। यात्रा के दौरान इन सभी यात्रियों को स्वास्थ्य मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा जारी किये गए सभी प्रोटोकॉलों का पालन करना होगा।गंतव्य पर पहुँच कर सभी को आरोग्य सेतु एप पर रजिस्टर करना होगा। सभी की मेडिकल जांच की जाएगी। जांच के पश्चात् सम्बंधित राज्य सरकार द्वारा उन्हें अस्पताल में या संस्थागत क्वारंटाइन में 14 दिन के लिए भुगतान के आधार पर रखा जाएगा। 14 दिन के बाद दोबारा कोविड टेस्ट किया जाएगा और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अनुसार अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।
कोविड-19 के चलते आस्ट्रेलिया में यह स्थिति निर्मित हुई है। सर्व ज्ञात तथ्य है किदुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमितों की कुल संख्या 35 लाख से ज़्यादा हो गई है. इस वायरस की चपेट में आकर दुनिया भर में अब तक 247306 लोगों की जान जा चुकी है।
आस्ट्रेलिया में वरुण मलिक,चैतन्य, करन,राबर्ट परेरा, दिव्या वे भारतीय है ओ अलग-अलग कारणों से आस्ट्रेलिया गये और अब लॉक डाउन में फंस गये थे , इन सबका और इन जैसों कई लोगों का एक ही उद्देश्य था – “ये भारत लौटना चाहते है”। इन सबकी लौटने की चाहत के पीछे परिवार है। माता पिता है। खत्म होते वीजा है। वरुण मलिक जैसे भारतीय युवाओं का एक समूह है, जो भारत में कार्यरत अपने संस्थान के कार्य के लिए वहां गये लौटने के पहले लॉक डाउन हो गया | वरुण की पत्नी पुणे में हैं और माता-पिता भोपाल में। उसकी चिंता का विषय कुछ महिनों पहले अस्पतालों से इलाज कराकर लौटे माता-पिता है। राबर्ट परेरा 68 साल के हैं, वे और उनकी पत्नी अपनी बेटी से मिलने गये और आस्ट्रेलिया में अटक गये है बीमार हैं उन्हें मंगलौर में अपने डाक्टर की सतत निगरानी चाहिए। करन दिल्ली के रहने वाले हैं, पढने के लिए आस्ट्रेलिया में है, मोनाश यूनिवर्सिटी कोविड-19 के कारण बंद हो गई है, अगले पाठ्यक्रम कब शुरू होंगे निश्चित नहीं है भारत लौटना चाहते है, रहने का ठिकाना नहीं है, जेब में पैसे नहीं है। इसी तरह की कहानी चैतन्य की है। प्रयाग के प्रशांत पांडे इन सबको को साथ दे रहे है वे वहां नौकरी में है। इस भीड़ में दिव्या और उसके पति अपनी बच्ची के साथ है जो नौकरी की तलाश में गये थे। ये सब युवा है और भारत सरकार की उस नीति का बेसब्री से इंतजार कर रहे है, जिसका आश्वासन आस्ट्रेलिया स्थित भारतीय उच्च आयोग ने उन्हें दिया है। अब 7 मई से इनकी वापिसी होगी। सरकार जो कर चुकी है, जो करने जा रही है और जो भविष्य की रणनीति है उसे समग्र रूप से पूरी पारदर्शी बनाने की जरूरत है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।