भोपाल। प्रेस को जारी विज्ञप्ति में प्रदेश सचिव दिनेश कुमार ने बताया कि लॉकडाउन अवधि में तकनीकी शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत शासकीय पॉलिटेक्निक एवं इंजीनियरिंग महाविद्यालय में कार्यरत अतिथिविद्वानो (व्याख्याताओ) एवं नियमित व्याख्याताओ के वेतनमान को लेकर तकनीकी शिक्षा विभाग खुद ही अपने मापदंडो एवं नीति निर्देशो में उलझता हुआ नजर आ रहा है।
यहां बता दे कि हाल ही में संचालक तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा पॉलिटेक्निक एवं इंजीनियरिंग कॉलेजो में शैक्षणिक कार्य कर रहे कर्मचारियों की वेतन देन की बारी आई तो एक अजीबो गरीब विसंगति सामने आई है कि विभाग द्वारा से 24 मार्च से 15 मई तक भुगतान देने के लिए ऑनलाइन माध्यम से ली कक्षाओं की जानकारी सिर्फ अतिथि विद्वानो (व्याख्याताओ) से मांगी जा रही है, नियमित व्याख्याताओ से नही।
जब कि अतिथिविद्वानो का कहना है कि महाविद्यालय प्रचार्यो द्वारा दिनाँक 24 मार्च से ऑनलाइन कक्षाएं लेने हेतु कोई भी सूचना जारी नही की गई वल्कि व्हाट्सएप संदेश के माध्यम से कोई भी स्पष्ट आदेश जारी न कर 20 अप्रैल से ज़ूम एप्प के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन किया गया जिन्हें अधिकांश कॉलेजो में 15 मई के स्थान पर कक्षाएं 04 मई को बंद कर दी गई जिससे छात्रों का पाठ्यक्रम पूर्ण नही होने से छात्रों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। जो वर्तमान सरकार में पदस्थ अफसरशाहों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर अमानवीय एवं अन्याय पूर्ण रवैये को दर्शाता है।
इसी कड़ी में कि शेष पाठ्यक्रम पूर्ण करने हेतु समय देकर, छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पॉलिटेक्निक अतिथि विद्वानो ने सम्पूर्ण लॉकडाउन अवधि को कर्त्तव्य अवधि मानकर "महाविद्यालय शैक्षणिक समय सारिणी के अनुसार" भुगतान करने के लिए शासन के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान एवं विभागीय अधिकारियों को पत्र भेजकर भेजा है लेकिन अभी मध्यप्रदेश शासन तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा पॉलिटेक्निक अतिथि विद्वानो के निर्देश जारी नही किये है।
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