भोपाल। पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, लोग आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे है, लॉक डाउन में जहाँ वर्क एट होम में कार्य किया जा रहा है, ऐसे में महाविद्यालय के प्राचार्यो द्वारा अपनी शक्ति प्रदर्शन जनभागीदारी मद से नियुक्त तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर किया जा रहा है, तथा जब से लॉक डाउन है तब से 1 मार्च 2020 से 24 मार्च 2020 तक के वेतन का भुगतान कर इतिश्री कर उन्हें लॉक डाउन अवधि में ब्रेक भी दे दिया, जबकि शासन के स्पष्ट आदेश है कि किसी भी कर्मचारी को हटाया नही जाय एवं उनके वेतन का भुगतान पूरा किया जाए।
वैश्विक महामारी से एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी के चलते सुरक्षा के उपाय खोज रहा है, गरीबो को आर्थिक पैकेज की घोषणा की जा रही है, वही प्रदेश के महाविद्यालय में कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को न तो पूरा वेतन दिया जा रहा है, न ही EPF, बीमा जैसी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, साथ ही शासन के आदेश के बावजूद कर्मचारियों को हटाया जा रहा है, वेतन में कटौती कर ब्रेक दिया जाकर शासन एवं भारत सरकार के आदेशों की स्पष्ट अवहेलना की जा रही है।
शासकीय वीर सावरकर महाविद्यालय पचोर एवं शासकीय अग्रणी महाविद्यालय रीवा के द्वारा कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर 20 दिवस का भुगतान किया जा रहा है, साथ ही शासकीय अग्रणी महाविद्यालय सिवनी के आदेश क्रमांक 244 दिनांक 12.05.2020 के द्वारा आदेश जारी कर गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को नोकरी से हटा दिया। जो स्पष्ठ रूप से सरकार की मंशा के विपरीत ओर आदेशो की स्पष्ठ अवेहलना है।
जनभागीदारी मद से कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को श्रम विभाग के अनुसार न तो EPF योजना का लाभ दिया जा रहा है, न ही किसी प्रकार के बीमे की योजना का लाभ दिया जा रहा है ऐसे में जनभागीदारी कर्मचारी वैश्विक महामारी में अपनी सेवाएं निरंतर दे रहे है, फिर भी शासन और श्रम विभाग के नियमों को ताक ओर रखकर किसी भी योजना का लाभ नही दिया जा रहा है।
मध्यप्रदेश कर्मचारी संघ ने इस संबंध में पत्र जारी कर संबंधितो पर आवश्यक कार्यवाही करने हेतु आयुक्त उच्चशिक्षा विभाग को लिखा है, साथ ही यह मांग की है, संबंधित प्राचार्यो पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।